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तलाक के लिए नहीं करना होगा महीनों तक इंतजार, इन शर्तों को पूरा कर फटाफट ले सकेंगे डिवोर्स

हिंदू मैरिज एक्ट के तहत सहमति से तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है हिंदू मैरिज एक्ट के तहत सहमति से तलाक लेने वालों के लिए अब कम से कम छह महीने के वेटिंग पीरियड भी अनिवार्य नहीं हैं.

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  • Last Updated: September 12, 2017 14:10:49 IST
नई दिल्ली. हिंदू मैरिज एक्ट के तहत सहमति से तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. अब सहमति से तलाक लेने वाले कपल को महीनों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत सहमति से तलाक लेने वालों के लिए अब कम से कम छह महीने के वेटिंग पीरियड भी अनिवार्य नहीं हैं. 
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश नहीं हो और बच्चे की कस्टडी आदि का फैसला हो चुका हो तो कोर्ट छह महीने की वेटिंग पीरियड को खत्म कर सकता है. 
 
इसका मतलब ये हुआ कि अब ये संभव हो सकेगा कि फर्स्ट मोशन के बाद एक हफ्ते के भीतर सेकंड मोशन की अर्जी लग सकती है और कोर्ट संतुष्ट हुआ तो सहमति से तलाक तुरंत संभव हो सकेगा. 
 
बता दें कि तीन तलाक मामले में कोर्ट की ओर से दोनों पक्षों में सहमति के लिए कम से कम 6 महीने का समय दिया जाता है, जिससे वो अपने रिश्ते पर पुनर्विचार करे. मगर कोर्ट के इस टिप्पणी के बाद 6 महीने की इस अनिवार्यता को खत्म किया जा सकता है और दोनों पक्ष तुरंत अलग भी हो सकते हैं. 
 
बता दें कि 1955 में हिंदू मैरिज एक्ट बना. इसके तहत तलाक को कानूनी मान्यता देने के साथ-साथ एक समय में एक से अधिक विवाह को गैरकानूनी घोषित किया गया. साथ ही अलग-अलग जातियों के महिला-पुरुष को एक दूसरे से विवाह का अधिकार दिया गया.

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