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रोहिंग्या मुसलमानो के लिए फरिश्ता बने सिख, लंगर के जरिए 35 हजार लोगों को दे रहे हैं खाना

नई दिल्ली: खालसा ऐड (भारत) से सिख स्वयंसेवकों ने म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए राहत कार्य शुरू कर दिया है. खालसा ऐड के कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश-म्यामांर सीमा पर पहुंचे रोहिंग्या मुसलमानों को खाना खिलाने के लिए बांग्लादेश सरकार से इजाजत मांगी और फिर इजाजत मिलने के बाद गुरुवार से उन्होंने गुरू का लंगेर (समुदाय के लिए खाने की व्यवस्था) शुरू कर दी है.

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  • Last Updated: September 15, 2017 13:40:24 IST
नई दिल्ली: खालसा ऐड (भारत) से सिख स्वयंसेवकों ने म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए राहत कार्य शुरू कर दिया है. खालसा ऐड के कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश-म्यामांर सीमा पर पहुंचे रोहिंग्या मुसलमानों को खाना खिलाने के लिए बांग्लादेश सरकार से इजाजत मांगी और फिर इजाजत मिलने के बाद गुरुवार से उन्होंने गुरू का लंगेर (समुदाय के लिए खाने की व्यवस्था) शुरू कर दी है. 
 
 
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छही खबर के मुताबिक खालसा ऐड टीम सीमावर्ती शहर टेकनफ में डेरा डाले हुए है. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश सरकार ने शरणार्थियों को भोजन देने के लिए जरूरी सभी चीजों को ले जाने की भी अनुमति दी है. इससे पहले उनकी टीम सिर्फ पैक हुआ खाना और पानी शरणार्थियों को उपलब्ध करवा रहे थे.
 
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गुरुवार को स्वमसेवकों ने शाहपुरी द्वीप (शापुर द्वीप के नाम से भी जाना जाता है) के पर लंगर लगाया. स्वंमसेवकों के मुताबिक उनका शुरुआती लक्ष्य प्रति दिन कम से कम 35,000 लोगों तक खाना पहुंचाना है.
 
हालांकि यहां शरणार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वो ये भी जानते हैं कि उनकी ऐड टीम सभी को खाना खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं होगी लेकिन उनका कहना है कि कहीं ना कहीं से शुरूआत तो करनी ही होगी.
 
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उन्होंने कहा कि शरणार्थियों की हालत को देखते हुए और उसी भीड़ में मौजूद भूख से बिलखते छोटे-छोटे बच्चों को देखकर उन्होंने लंगर की व्यवस्था करने का फैसला किया. 
 
इस बीच कुछ खालसा स्वयंसेवक घर-घर जाकर लंगर सेवा के लिए धनराशि जमा कर रहे हैं. लुधियाना से एक स्वयंसेवक गुरसाहिब सिंह का कहना है कि वो लंगर केवल तब ही जारी रख सकते हैं जबतक उनके पास आवश्यक धनराशि होगी.  
 
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वो इस मानवता के कार्य के लिए लोगों को दान करने का अनुरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि धर्म को भूलकर सिर्फ इंसान के नाते  उन बच्चों के बारे में सोचना चाहिए जो खाली पेट सो रहे हैं.

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