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अमरेली में बोले पीएम मोदी, नीली और मीठी क्रांति बदल सकती है सौराष्ट्र के लोगों की जिंदगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने 67वें जन्मदिन के मौके पर गुजरात के दाभोई में सरदार सरोवर बांध का उद्धाटन किया. इसके बाद पीएम मोदी अमरेली पहुंचकर सहकार सम्मेलन को संबोधित किए.

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  • Last Updated: September 17, 2017 12:06:21 IST
अमरेली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने 67वें जन्मदिन के मौके पर गुजरात के दाभोई में  सरदार सरोवर बांध का उद्धाटन किया. इसके बाद पीएम मोदी अमरेली पहुंचकर सहकार सम्मेलन को संबोधित किए. पीएम ने अपने संबोधन में कृषक समुदाय से लकड़ी उद्यम से जुड़े अवसरों को बढ़ावा देने की अपील की है.
 
पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की जरूरत को लेकर काफी गंभीर है. पीएम ने कहा कि जब मैं गुजरात का सीएम था तब मुझे सौराष्ट्र में डेयरी लाने का मौका मिला. नीली और मीठी क्रांति में सौराष्ट्र में लोगों के जीवन को बदलने की क्षमता है.
 
 
बता दें कि पीएम मोदी ने अमरेली में सभा को संबोधित करने से पहले अपने 67वें जन्मदिन पर गुजरात के दाभोई में सरदार सरोवर बांध का उद्धाटन किया. पीएम ने उद्धाटन के अवसर पर कहा कि मैं दभोई बहुत बार आया कभी बस से, कभी स्कूटर से, मेरी बहुत सी यादें दभोई से जुड़ी हुई हैं.पीएम मोदी ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती पर जिन-जिन लोगों ने इस सरदार सरोवर बांध का निर्माण किया है उनको बांध के रूप में सौगात देने का सौभाग्य मिला है.
 
पीएम ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेले ने इस बांध का सपना देखा था. अगर वह कुछ और साल जीते तो यह सरदार सरोवर बांध बन चुका होता. गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के जीवन को एक नर्मदा नदी कैसे बदल सकती है यह सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सोचा था. पीएम ने कहा कि अगर बाबा साहब और सरदार वल्लभ भाई पटेल कुछ और साल जीते तो हमारा देश नई ऊंचाईयों को छू रहा होता. 
 
 
दुनिया की हर ताकत ने इस योजना में रुकावट पैदा की
पीएम ने डाभोई में कहा कि मां नर्मदा और इस योजना को बहुत सारी मुसीबतें झेलनी पड़ी. दुनिया की हर ताकत ने इस बांध के रास्ते में रुकावट पैदा की. वर्ल्ड बैंक ने इस योजना के लिए पैसे देने से मना कर दिया था लेकिन हमने भी ठान लिया था कि हम भारत के पसीने से इस बांध को बना के रहेंगे.
 
की हर चुनौती को चुनौती देने का सामर्थ्य यह देश रखता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं जब एक बार बीएसएफ के जवानों के साथ बैठा तो पता चला इस रेगिस्तान में सैकड़ों मील दूर से जवान पानी लेकर आते थे तो जवानों को पीने का पानी मिलता था. जिस दिन मैं नर्मदा का पानी लेकर वहां पहुंचा तो मैंने बीएसएफ के जवानों तके चेहरे पर एक खुशी देखी थी.

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