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पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम पर जेटली का पलटवार, कहा- टैक्स कम क्यों नहीं करतीं राज्य सरकारें

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 2014 के मुकाबले आधी हो गई है. इसके बावजूद पेट्रोल की कीमत 70 से 80 तक पहुंच गई है. दिल्ली में आज आम आदमी पार्टी इसके खिलाफ सड़कों पर उतरी. शास्त्री भवन पहुंच कर इसके नेताओं ने पेट्रोलियम मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा.

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  • Last Updated: September 20, 2017 15:35:19 IST
नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 2014 के मुकाबले आधी हो गई है. इसके बावजूद पेट्रोल की कीमत 70 से 80 तक पहुंच गई है. दिल्ली में आज आम आदमी पार्टी इसके खिलाफ सड़कों पर उतरी. शास्त्री भवन पहुंच कर इसके नेताओं ने पेट्रोलियम मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने महंगे पेट्रोल-डीजल का ठीकरा विपक्षी दलों पर ही फोड़ दिया.
 
जेटली ने कहा कि केंद्र ने जब तेल सस्ता किया तब दिल्ली समेत कई राज्यों ने वैट बढ़ा दिया था. अब केंद्र जो टैक्स वसूल रही है उसका करीब आधा हिस्सा राज्यों को जाता है. इसके अलावा जेटली ने ये कह कर आम आदमी को मिर्ची लगा दी कि अगर वो टैक्स नहीं भरेंगे तो सरकार हाईवे बनाने का पैसा कहां से लाएगी. इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए पैसे तो चाहिए ही.
 
कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्र द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी देने के लिए जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुलाई गई. उन्होंने कहा कि महंगाई का शोर मचाने वाली कांग्रेस और लेफ्ट की सरकारें पेट्रोल पर टैक्स से कमाई कर रही हैं. जेटली ने कहा कि दो साल पहले जब 15 दिनों में तेल कंपनियां कीमतों की समीक्षा करती थीं, तब कई बार तेल की कीमतें घटीं लेकिन तभी कांग्रेस और लेफ्ट की सरकारें अपना वैट बढ़ा देती थीं.
 
 
महंगाई पर जेटली ने कहा कि आज जो पार्टियां शोर मचा रही हैं तब इनकी सरकार के दौरान महंगाई इससे कहीं ज्यादा थी. मैं पहले साफ कर देना चाहता हूं जब वे सरकार में थे तब 10 से 11 फीसदी पर इन्फ्लैशन था, आज 3.2 फीसदी पर हल्ला कर रहे हैं. पेट्रोल से 42 फीसदी टैक्स राज्यों को जाता है तो कांग्रेस और सीपीएम की सरकारें बता दें कि उन्हें केंद्र से टैक्स नहीं चाहिए.
 
दरअसल, वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच जीडीपी तीन साल के सबसे निचले स्तर 5.7 फीसदी पर पहुंच चुकी है. जबकि 2016-17 के वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ये 7.9 फीसदी के स्तर पर थी. चालू खाते का घाटा मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से जून के दौरान बढ़कर जीडीपी का 2.4 फीसद हो गया.
 
पिछले साल इसी तिमाही में ये अनुपात जीडीपी के 0.1 फीसदी पर था, मैन्युफैक्चरिंग की हालत में भी ज्यादा सुधार नहीं है. यहां विकास दर 0.1 फीसदी रही जबकि इसकी रफ्तार जितनी तेज होगी रोजगार भी उसी रफ्तार से बढ़ेगा. जानकारों के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था को झटका लगा है.
 

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