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INS तरासा भारतीय नौसेना में शामिल, दुश्मनों की जल समाधि बनाने की क्षमता

भारतीय नौसेना की एक बार फिर से ताकत बढ़ी है. मंगलवार को आईएनएस तारासा को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया. पानी के भीतर सुरक्षा के लिहाज से ये काफी अहम युद्धपोत है. आईएनएस तारासा एक ऐसा युद्ध पोत है, जिसे काफी उन्नत तकनीक से बनाया गया है

INS TARASA, Indian Navy, Defence
inkhbar News
  • Last Updated: September 26, 2017 11:05:46 IST
मुंबई. भारतीय नौसेना की एक बार फिर से ताकत बढ़ी है. मंगलवार को आईएनएस तारासा को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया. पानी के भीतर सुरक्षा के लिहाज से ये काफी अहम युद्धपोत है. आईएनएस तारासा एक ऐसा युद्ध पोत है, जिसे काफी उन्नत तकनीक से बनाया गया है, जो समुद्री रास्ते के आंतकियों को नानी याद दिला सकती है. इसे मुंबई में नौसेना को सुपूर्द कर दिया गया. 
 
INS तारासा तारमुगली क्लास का चौथा और आखिरी सर्विलांस जहाज है जो कार निकोबार क्लास का आधुनिक रूप है. जिसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) ने बनाया है. इससे पहले 2016 में आईएनएस तारमुगली और आईएनएस तिहायू को 2017 में शामिल किया गया था. इस पोत को मंगलवार को मुम्बई में कमीशन किया गया और जल्द ही इसे पश्चिमी तटों पर निगरानी और सुरक्षा के लिए रवाना कर दिया जाएगा.
 
इस आईएनएस तरासा को आधुनिक तकनीक के साथ भारत के पश्चिमी तटों की निगरानी और सुरक्षा के लिहाज से डिज़ाइन किया गया है. यह निगरानी जहाज एक यात्रा में करीब 4000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. जहाज पर स्वदेशी CRN 91 गन है जो करीब 5 किलोमीटर तक अचूक निशाना लगा सकता है.
 
 
आईएनस तरासा पोत अधिकतम 35 नॉट प्रति घंटे यानी कि 65 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलाई जा सकती है. यह पोत हथियारों से लैस होगा. सैन्य कार्रवाई के लिहाज से इसमें 30 एमएम के गन, मीडियम और हैवी मशीन गन भी होंगे, जो दुश्मनों को आसानी से टारगेट कर सकती है. इस पर 1000 किलोग्राम का गोला बारूद जमाकर रखा जा सकता है.
 
 
बताया जा रहा है कि 50 मीटर लंबा आईएनएस बड़े-बड़े मिशन को अंजाम देने के लिहाज से काफी बेहतर है. इस पोत से नॉन मिलिट्री मिशन, सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन और डिजास्टर ऑपरेशन भी कंडक्ट किये जा सकते हैं. इस युद्धपोत के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कमांडर प्रवीण कुमार होंगे. यह युद्धपोत समुद्री किनारों की सुरक्षा, निगरानी करेगी. इस निगरानी युद्धपोत पर महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के समुद्री तटों की सुरक्षा और निगरानी की जिम्मेदारी होगी.
 
 
बता दें कि भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली यह दूसरी आईएनएस तरासा है. इससे पहले आईएनएस तरासा 1999 से 2014 तक नौसेना में शामिल रही है. अब देश के समुद्री इलाकों में आतंक फैलाने वाले आतंकियों की पहचान कर उनके मंसूबों को उखाड़ फेंकने के लिए भारत ने आईएनएस तारासा को तैनात कर दिया है. 

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