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देश एक, रंग अनेक: देश के 7 राज्यों में लोग 7 अलग तरीके से मनाते हैं दशहरा

नवरात्रि का आखिरी दिन दशहरा होता है. दशहरा या विजयादशमी एक ऐसा दिन जब रावण के पुतले को जलाया जाता है और उसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. देश को हर कोने में लोग अपने-अपने अंदाज में दशहरा मनाते हैं. लेकिन आपको हम देश के राज्यों मनने वाले दशहरा के बारे में बताते हैं

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  • Last Updated: September 29, 2017 15:12:37 IST
नई दिल्ली: आज रावण दहन के साथ ही दशहरे की धूम अपने चरम पर होगी. दशहरा या विजयादशमी एक ऐसा दिन जब रावण के पुतले को जलाया जाता है और उसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. देश को हर कोने में लोग अपने-अपने अंदाज में दशहरा मनाते हैं. लेकिन आपको हम देश के उन  राज्यों मनने वाले दशहरा के बारे में बताते हैं, जो अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है.
 
 
 
मैसूर का दशहरा
कर्नाटक के मैसूर का दशहरा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी मशहूर है. मैसूर में दशरहा मनाने की परंपरा 600 साल से भी पुरानी है. इस मौके पर कर्नाटक सरकार ने 44 केबिन वाली लक्जरी ट्रेन का आयोजन करने जा रही है. कर्नाटक सरकार ने इस विशेष अवसर पर आने वाले पर्यटकों के लिए दो ट्रिप का आयोजन किया है. पहले टूर के लिए 23 से 25 सितंबर के बीच यात्रा होगी, जबकि दूसरा टूर 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक होगा. इसके लिए पर्यटकों को दक्षिण भारत घूमने का भी मौका मिलेगा. इस टूर के लिए 30 हजार रुपये प्रति व्यक्ति का किराया निर्धारित किया गया है. 
 
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कुल्लू का दशहरा
कुल्लू का दशहरा की तैयारियां यहां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं. लोग सुसज्जित होकर अपने देवता को पालकी में सैर करवाते हैं. भगवान रघुनाथ की रथयात्रा भी निकाली जाती है जो 6 दिनों तक अलग-अलग नगरों से होते हुए निकलती है. लोग पूजा-अर्चना तो करते हैं ही लेकिन साथ ही नाच-गाना भी करते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि दशहरे के दिन जब रथयात्रा निकाली जाती है तब करीब 1000 देवी-देवता इस पर्व में सम्मिलित होते हैं.
 
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बंगाल का दशहरा
पश्चिम बंगाल का दशहरा इन सबसे अलग है. 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान वहां का पूरा माहौल शक्ति की देवी दुर्गा के रंग का हो जाता है. बंगाली हिंदुओं के लिए दुर्गा और काली की आराधना से बड़ा कोई उत्सव नहीं है. वे देश-विदेश जहां कहीं भी रहें, इस पर्व को खास बनाने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते. इसके अन्‍तर्गत स्त्रियां, देवी के माथे पर सिंदूर चढ़ाती हैं और देवी को अश्रुपूरित विदाई देती हैं. इसके साथ ही वे आपस में भी सिंदूर खेलती हैं और अंत में सभी देवी प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है.
 
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गुजरात का दशहरा
गुजरात में भी दशहरे को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक यहां पारंपरिक नृत्य गरबा की धूम होती है. गरबा नृत्य इस उत्सव की शान होता है. इसमें पुरुष एवं स्त्रियां संगीत की लय पर घूम-घूम कर नृत्य करते हैं. देवी मां की आरती के बाद डांडिया रास का आयोजन पूरी रात चलता है.
 
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बस्‍तर का दशहरा
छत्तीसगढ़ के बस्तर में दशहरे को मनाने का मुख्य कारण राम की रावण पर विजय नहीं माना जाता बल्कि यहां के लोग विजयदशमी को मां दंतेश्वरी की आराधना को समर्पित एक पर्व के रूप में मनाते हैं. दंतेश्वरी माता, बस्तर के लोगों की आराध्य देवी हैं जो मां दुर्गा का ही रूप हैं और यहां यह पर्व पूरे 75 दिन तक चलता है. 
 
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महाराष्ट्र का दशहरा
महाराष्ट्र में दशहरे से 9 दिन पहले मां दुर्गा की पूजा की जाती है और दसंवे दिन यानि दशहरे पर मां सरस्वती की पूजा होती है. इस दिन बच्चे पढ़ाई में सफलता पाने के लिए मां सरस्वती का आशीर्वाद लेते हैं. महराष्ट्र में लोग श्रृद्धाभाव से तो पूजा-अर्चना तो करते हैं ही लेकिन साथ ही नाच-गाना भी करते हैं.
 
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उत्तर भारत का दशहरा
उत्तर भारत- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, इन सभी राज्यों में दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. इन सभी प्रदेशों में इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं. यहां दशहरे को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही कई जगहों पर मेले का आयोजन भी होता है.
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