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धनतेरस पूजा 2017: धनतेरस पर पूजा करने का ये है शुभ मुहूर्त

आज धनतेरस का पर्व है. धनतेरस पर्व पर नए बर्तन, सोना-चांदी खरीदना शुभ माना होता है. इस दिन भगवान धन्वन्तरि और कुबेर की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि भगवान धन्वन्तरि अपने साथ अमृत भरा कलश और आयुर्वेद लिए जन्म लिया था. इन्हें ही औषधी का जनक कहा जाता है.

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  • Last Updated: October 17, 2017 01:53:54 IST
नई दिल्ली. आज धनतेरस 2017 का पर्व है. धनतेरस पर्व पर नए बर्तन, सोना-चांदी खरीदना शुभ माना होता है. इस दिन भगवान धन्वन्तरि और कुबेर की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि भगवान धन्वन्तरि अपने साथ अमृत भरा कलश और आयुर्वेद लिए जन्म लिया था. इन्हें ही औषधी का जनक कहा जाता है. इस दिन पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है. इसीलिए धनतेरस के दिन हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस विधि और शुभ मुहूर्त में पूजा करने से भगवान की असीम कृपा बनी रहती है.साथ ही इस खबरे के माध्यम से धनतेरस पूजा के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी जानें जैसे पौराणिक कथा, पूजा विधि, धनतेरस के दिन क्या करें और क्या न करें… 
 
धनतेरस 2017 की पूजा विधि
– स्नान करने के बाद मंदिर में विधि विधान पूर्वक पूजा करने के लिए सबसे पहले भगवान धन्वन्तरि की प्रतिमा स्थापित करें.
–  इसके उपरांत गंगाजल से आचमन करें.
– तिलक करें, और भगवान को पुष्प अर्पित करें.
– धूप व दीपक जलाएं.
– पूजा के दौरान नीचे दिए गए मंत्रों को जाप करें.
 
धनतेरस 2017 के दिन क्या करें?
धनतेरस के दिन किसी भी धातू का खरीदना शुभ होता है. सामर्थ्य के अनुसार धनतेरस के दिन लोग सोना-चांदी भी खरीदते हैं और जो लोग सोना-चांदी नहीं खरीदते, वो बर्तन खरीद सकते हैं.  इस दिन धन और यश प्राप्ति के लिए धन कुबेर के लिए घर के पूजा घर में दीपक जलाना चाहिए और मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाना चाहिए.
 
धनतेरस शुभ मुहूर्त पर करें पूजा
धनतेरस वाले दिन शाम 7.19 बजे से 8.17 बजे तक का है. 
काल सुबह 7.33 तक दवा, खाद्यान्न  
शुभ  9.13 तक वाहन,मशीन,कपड़ा,शेयर,घरेलू सामान
चर  14.12 तक  गाड़ी, गतिमान वस्तु, गजट 
लाभ 15.51 तकलाभ कमाने वाली मशीन,औजार, कंप्यूटर,शेयर 
अमृत 17.31 तक जेवर, बर्तन, खिलौना, कपड़ा, स्टेशनरी 
काल 19.11 तक घरेलू सामान, खाद्यान्न, दवा 
 
धनतेरस पूजा मंत्र
कुबेर यंत्र, श्रीमंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, कनकधारा यंत्र, मंगल यंत्र, 
 
इस मंत्र का करें उच्चारण
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः ।
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः ।
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि… ।।
 
इस दिन की जाती है धनतेरस की पूजा
हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशई के दिन दिवाली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. धनतेरस का मतलब होता है कि धन माने समृद्धि और तेरस का मतलब तेरह होता है. इसका अर्थ ये हुआ कि इस दिन पूजा करने से आपका धन 13 गुना बढ़ जाता है. और वर्षभर घर में खुशियां बनी रहती है.
 
भूल कर भी आज के दिन ये न खरीदें
कांच की वस्तुएं, एल्युम‌िन‌ियम के बर्तन, लोह के बर्तन, सोने के गहने, शीशे का सामान.
 
धनतेरस पूजा पौराणिक कथा
धनतेरस की कथा के मुताबिक राजा बलि से देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और उनसे भिक्षा की याचना की थी. असुरों के गुरु शुक्राचार्य को भगवान विष्णु की इस चाल का पता चल गया और उसने राजा बलि को वामन भेष में आए भगवान विष्णु को भिक्षा देने का संकल्प ना देने को कहा लेकिन राजा बलि ने ऐसा करने से मना कर दिया.
 
राजा बलि ने वामन को दान देने का संकल्प कर लिया और फिर वामन भेष में आए भगवान विष्णु ने एक पग में संपूर्ण धरती और दूसरे पग में संपूर्ण आकाश को नाप दिया. तीसरा पग फिर भी बच गया तो राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वो अपना तीसरा पग उनके सिर पर रख दें ताकि उनका वचन पूरा हो सके. इस तरह भगवान विष्णु ने अपनी माया से राजा बलि को निर्धन कर दिया और देवताओं को फिर से उनका यश और वैभव वापिस लौटाया. इसी खुशी में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. 
 
 

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