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हुर्रियत की धमकी- अनुच्छेद 35-ए के खिलाफ आया SC का फैसला तो घाटी में होगा विद्रोह

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अनुच्छेद 35-ए मामले पर सुनवाई करेगा. माना जा रहा है कि इस मसले पर कोर्ट कोई बड़ा फैसला दे सकता है. मगर इससे पहले ही घाटी में विरोध की आवाजें उठने लगीं हैं. इसे लेकर जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अनुच्छेद 35-ए को लेकर गहमागहमी मची हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने इसे लेकर रविवार को खुली चेतावनी दी है.

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  • Last Updated: October 29, 2017 13:31:40 IST
श्रीनगरः सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अनुच्छेद 35-ए मामले पर सुनवाई करेगा. माना जा रहा है कि इस मसले पर कोर्ट कोई बड़ा फैसला दे सकता है. मगर इससे पहले ही घाटी में विरोध की आवाजें उठने लगीं हैं. इसे लेकर जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अनुच्छेद 35-ए को लेकर गहमागहमी मची हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने इसे लेकर रविवार को खुली चेतावनी दी है. हुर्रियत ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अनुच्छेद 35-ए के खिलाफ आता है तो घाटी में इसके खिलाफ विद्रोह किया जाएगा. अनुच्छेद 35-ए राज्य के रुप में जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार देता है. यही वजह है कि कश्मीर की अवाम से लेकर सियासतदां अब 35-ए को चुनौती के विरोध में नजर आ रहे हैं.
 
बता दें कि अनुच्छेद 35-ए के कुछ प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. तीन जजों की बेंच इस पर सुनवाई करेगी. जिसके बाद इसे पांच न्यायाधीशों की बेंच के पास भेजा जाएगा. जिन प्रावधानों को चुनौती दी गई है उसमें प्रमुख तौर कुछ इस प्रकार हैं:
 
– राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलना.
 
दरअसल, अभी ये नियम है कि कश्मीर से बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला का संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है. इतना ही नहीं, उनसे जन्म लेने वाली संतान को भी संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता है. कोर्ट में इसे चुनौती दी गई है.
 
क्या है अनुच्छेद 35-ए
संविधान के अनुच्छेद 35-ए में जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को परिभाषित कर सके. 14 मई, 1954 में इसे संविधान में जोड़ा गया था. अनुच्छेद-370 के तहत यह अधिकार दिया गया था. 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान तैयार हुआ था. इसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया. अनुच्छेद 35-ए राज्य विधायिका को यह अधिकारी देता है कि वह कोई भी कानून बना सकती है. राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानून को अन्य राज्यों के निवासियों के साथ समानता का अधिकार और संविधान द्वारा प्राप्त किसी भी अन्य अधिकार के उल्लंघन के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती.
 
हाल में सीएम महबूबा मुफ्ती ने पीएम मरेंद्र मोदी से इस संबंध में मुलाकात की थी. मुफ्ती ने कहा, हमारे एजेंडे में यह तय था कि अनुच्छेद-370 के तहत राज्य को मिल रहे स्पेशल स्टेटस में कोई बदलाव नहीं होगा. गौरतलब है कि इस बात को अभी चंद दिन ही बीते हैं कि केंद्र सरकार ने घाटी में शांति का माहौल स्थापित करने की कोशिश करते हुए पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया है. जिम्मेदारी संभालते ही बीते शनिवार दिनेश्वर शर्मा का बयान आया. उन्होंने कहा, वह किसी भी सूरत में जम्मू-कश्मीर को सीरिया नहीं बनने देंगे लेकिन अनुच्छेद 35-ए पर हुर्रियत पूरी तरह से बगावत के मूड में नजर आ रहा है.
 
 

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