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सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का हिस्सा गुजरात पहुंचा, अगले साल उद्घाटन

सरदार वल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति का हिस्सा गुजरात पहुंचना शुरू हो गया है. शुक्रवार को मूर्ति का सिर दिल्ली से केवडिया पहुंचाया गया. इसकी ऊंचाई 8 मीटर है. मूर्ति की कुल ऊंचाई 182 मीटर होगी.

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  • Last Updated: October 31, 2017 08:22:56 IST

भरुच: सरदार वल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति का हिस्सा गुजरात पहुंचना शुरू हो गया है. शुक्रवार को मूर्ति का सिर दिल्ली से केवडिया पहुंचाया गया. इसकी ऊंचाई 8 मीटर है. मूर्ति की कुल ऊंचाई 182 मीटर होगी. गुजरात में बन रही सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का लगभग आधा काम पूरा हो चुका है. ये मूर्ति अमेरिका के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंची होगी. इसकी लंबाई 182 मीटर होगी. इसे बनाने में 7500 मीट्रिक टन स्ट्रील का इस्तेमाल होना है साथ ही 2 लाख मिट्रीक टन सीमेंट और 300 घनमीटर कंक्रीट का इस्तेमाल इस मूर्ति को बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा. इस मूर्ति को बनाने के लिए कुल 2989 करोड़ का बजट रखा गया है. साल 2013 में पीएम मोदी ने इस प्रतिमा की नींव रखी थी और अगले साल यानी 2018 में इस मूर्ति का उद्घाटन किया जाएगा.

फिलहाल दुनिया भर में भगवान बुद्ध की चीन में बनी स्प्रिंग टेंपल ऑफ बुद्धा की मूर्ति को सबसे ऊंची मूर्ति माना जाता है. इसकी ऊंचाई 153 मीटर है. इसके बाद जापान की ऊसीकुडाईबुत्सु की ऊंचाई 120 मीटर है. तीसरे नंबर पर है अमेरिका का स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी जिसकी ऊंचाई 93 मीटर है. चौथी सबसे ऊंची मूर्ति रूस में है जिसका नाम द मदरलैंड कोंल्स है. इसकी ऊंचाई 85 मीटर है. सरदार वल्लभ भाई पटेल को इतिहास लौह पुरुष के रूप में याद करता है. उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि सरदार पटेल ने आजादी के बाद विभाजन की कगार पर खड़े भारत को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सरदार पटेल ने 565 रियासतों का भारत में विलय कराया था यही कारण था कि उन्हें लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है. 

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यहां तक की हैदराबाद के निजाम और जूनागढ़ के नवाब जो विद्रोह पर आमादा थे, उन्हें भी सरदार पटेल ने सूझबूझ के साथ भारत में शामिल कराया. खास बात ये रही कि सरदार पटेल ने इन सारी रियासतों का विलय बिना खून खराबे के शांति से कराया. सरदार पटेल की दूरदर्शिता के बारे में इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने गृहमंत्री के रूप में आईसीएस को आईएएस बनाया. ये भी कहा जाता है कि अगर सरदार पटेल पंडित नेहरू की जगह भारत के पहले प्रधानमंत्री बनते तो देश की दशा और दिशा आज शायद कुछ और ही होती. 
 
   
 

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