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Bihar Education Minister Mewa Lal Resign: बिहार के शिक्षा मंत्री का चार्ज संभालने के कुछ घंटों बाद ही मेवा लाल को देना पड़ा मंत्री पद से इस्तीफा

Bihar Education Minister Mewa Lal Resign: नीतीश कैबिनेट में शिक्षा मंत्री बनाए गए मेवा लाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. मेवा लाल पर असिस्टेंट प्रोफेसर पद की नियुक्तिों पर अनियमित्ताओं का आरोप लगा था. मेवा लाल को शिक्षा मंत्री बनाए जाने के बाद से लगातार सवाल खड़े हो रहे थे. यही वजह है कि आज मेवा लाल पहले सीएम आवास गए और फिर उन्होंने राजभवन अपना इस्तीफा भिजवा दिया

Bihar Education Minister Mewa Lal Resign
inkhbar News
  • Last Updated: November 19, 2020 16:06:16 IST

पटना: बिहार की नवनिर्वाचित बिहार विधानसभा में शिक्षा मंत्री बनाए गए मेवा लाल ने इस्तीफा दे दिया है. दरअसल मेवा लाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय में साल 2012-13 के दौरान असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के मामले में जांच के दौरान तत्कालीन वीसी और मेवा लाल पर लगाए गए आरोप सही पाए गए थे. हाईकोर्ट के पूर्व जज ने इस मामले की जांच की थी जिसमें मेवा लाल दोषी करार दिेए गए थे. मेवा लाल पर अब भी मामला चल रहा है.

हाल ही में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में मेवा लाल को शिक्षा मंत्री बनाया गया था जिसके बाद से ही उनपर लगे अनियमित्ताओं के आरोपों को नए सिरे से हवा मिल रही थी. जिस नेता को करप्शन के मामले में खुद नीतीश ने पार्टी से हटाया था, उसे सीधा मंत्री कैसे बना दिया था जबकि उस मामले की जांच जारी थी. शायद यही वजह है कि मेवा लाल पर इस्तीफे का दवाब बना और उन्होंने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि मेवा लाल सीएम आवास पर पहुंचे थे और फिर वहां से एक चिट्ठी राजभवन पहुंच गई है जिसमें मेवा लाल का इस्तीफा पत्र है.

बिहार के कृषि विश्वविद्यालय में लगभग 160 सहायक प्राध्यापक और कनीय वैज्ञानिकों की नियुक्ति में अनियमित्ताओं की शिकायत के बाद जांच की गई तो पता चला कि वहां के तत्कालीन कुलपति और मेवालाल चौधरी की मिलीभगत से धांधली हुई और पास अभ्यर्थिर्यो को फेल कर वेबसाइट पर रिजल्ट जारी कर दिया था. जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय से बहाली से जुड़े कागजात भी गायब कर दिए गए थे. मामले सामने आने के बाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ने मामले की जांच की. राजभवन के निर्देश पर फरवरी, 2017 में पूर्व कुलपति के खिलाफ सबौर थाना में केस दर्ज किया गया था. इस मामले में पूर्व कुलपति से एसआईटी ने भी पूछताछ की जिसके बाद वो अंडरग्राउंड हो गए. बाद में पता चला कि उन्होंने हाइकोर्ट से बेल भी ले लिया.

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