लखनऊ. कोरोना संकट के दौरान आ रही ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को जमकर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन से हो रहीं मौतों को नरसंहार बताया है।
उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की हालत को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर 27 अप्रैल को सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब मांगा था। मामले में सुनवाई पर सरकार कोर्ट के सामने कोई जवाब पेश नहीं कर पाई। अतिरिक्त एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने दो दिन का और वक़्त मांगते हुए कहा कि जवाब के लिए विस्तृत हलफनामा बनाया जा रहा है ताकि उसमें मांगी गई तमाम सूचनाएं शामिल हों सकें।
ये नरसंहार और आपराधिक कृत्य है
कोविड के बढ़ते संक्रमण को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति ना होने और इससे हो रही मौतों को नरसंहार बताया। इलाहाबाद कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से कोविड मरीजों की मौत आपराधिक कृत्य जैसा है।
कोविड मरीजों की मौत उनके लिए किसी नरसंहार से कम नहीं है, जिन्हें लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। कोर्ट ने कहा, ‘नरसंहार के जिम्मेदार वो लोग हैं जिनके ऊपर लगातार ऑक्सीजन सप्लाई की जिम्मेदारी थी।’
जब कोर्ट में ही कराया गया फोन
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में अधिवक्ता अनुज सिंह ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने सभी अस्पतालों में लेवल 2 और 3 के खाली बेड की संख्या बताने के लिए पोर्टल शुरू किया है लेकिन इसमें दी गई जानकारी गलत है। इस पर कोर्ट ने अनुज सिंह को सुनवाई के दौरान ही अदालत में ही फोन करने को कहा। जिसके बाद नंबर डायल किया गया और हाईकोर्ट के सामने अस्पताल ने जवाब दिया कि लेवल 2 और 3 का कोई बेड खाली नहीं है। जबकि ठीक उसी समय पोर्टल में खाली बेड दिखाए जा रहे थे।
हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार का ये पोर्टल शक पैदा करता है। सरकार दावा करती है प्रदेश में आइसोलेशन बेड आईसीयू बेड की कमी नहीं है, जबकि हकीकत कुछ और है।