नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मीटिंग में 12वीं की परीक्षा रद्द करने का फैसला किया है। जिसके बाद तमाम तरह की अटकलों पर अब विराम लग गया है। ये फैसला ज़रूर कोरोना संक्रमण के चलते किया गया है, लेकिन अब परीक्षा रद्द होने के बाद कई और अहम सवाल भी खड़े हो गए हैं।
किसी भी बच्चे के भविष्य का रास्ता किस ओर जाता है, ये 12वीं के बाद ही तय होता है। ये कक्षा इसलिए भी अहम हो जाती है कि इसके बाद किस क्षेत्र में दाखिला लेना है, आगे कौन सी जॉब करनी है, कैरियर कहां बनना है ये इसके बाद की पढ़ाई के बाद तय होता है। कई जगहों पर दाखिला लेने के लिए 12वीं कक्षा में किया गया प्रदर्शन भी बहुत मायने रखता है। ऐसे में अब सरकार के सामने ये भी बड़ी चुनौती होगी।
वहीं आईएएस सोमेश उपाध्याय का कहना है कि ” अब सीबीएसई बोर्ड एग्जाम रद्द हो गए हैं, विश्विद्यालयों के लिए ये एक अच्छा मौका है कि वो कॉलेज दाखिले के लिए अब न्यायसंगत योग्यता परीक्षा ले सकते हैं। बोर्ड के आधार पर बच्चों को दाखिला देना गलत है जबकि कई राज्य अभी भी बहुत अच्छी उदारता नहीं दिखा रहे।
आगे दाखिले की क्या होगा प्रक्रिया
एक ओर 12वीं में बच्चों को प्रमोट कर दिया गया है। लेकिन दूसरी ओर अब तमाम कॉलेज में बच्चों के दाखिले का भी दौर शुरू हो गया है। कुछ कॉलेज तो ऑनलाइन एग्जाम करवा रहे हैं, लेकिन बहुत से कॉलेज अभी भी फैसला नहीं ले पा रहे कि क्या करना है। वहीं कुछ कॉलेजों ने तो एडमीशन प्रक्रिया में 12वीं के नम्बर भी अहम माने हैं। ऐसे में अब सरकार पर और जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वो इन सब को कैसे हैंडल करती है।
समयबद्ध तरीके से बनाए जाएंगे नतीजे
परीक्षा रद्द करने के फैसले के बाद बैठक में फैसला लिया गया है कि 12वीं कक्षा के नतीजे समयबद्ध तरीके से एक अच्छी तरह से परिभाषित उद्देश्य मानदंड के अनुसार बनाए जाएंगे। लेकिन ये मानदंड क्या होगा। बच्चों के भविष्य और इसका क्या असर पड़ेगा ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।
हालांकि ये बच्चों की सेहत से जुड़ा मामला तो फिलहाल टल गया है। जोकि एक बड़ा खतरा था। बाकी अब देखने वाली बात ये भी होगी कि सरकार सब कुछ सही तरीके से इसको कैसे पटरी पर लाती है। क्योंकि बच्चों की सेहत के साथ भविष्य को भी साथ लेकर चलना एक बड़ा सवाल बना हुआ है।