नई दिल्ली. कोरोना के साथ पूरे देश में ब्लैक फंगस का खतरा भी मंडरा रहा है। महज राजधानी दिल्ली में ही मौजूदा समय में ब्लैक फंगस के 700 से ज़्यादा ऐक्टिव मरीज हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ब्लैक फंगस की दवा की कमी को लेकर गहरी चिंता जताई है. साथ ही कोर्ट ने ब्लैक फंगस के शिकार रोगियों के उपचार में उपयोगी लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी दवा को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार से नीति बनाने की बात कही है। न्यायालय ने सरकार को इसमें युवाओं को प्राथमिकता देने को कहा है। न्यायालय ने सरकार से कहा है कि दवाओं के किल्लत के चलते दवा वितरण के लिए मरीजों की प्राथमिकता तय करना जरूरी है ताकि सभी नहीं, कुछ जिंदगियों को बचाया जा सकें।
सर गंगाराम अस्पताल के ही एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि उनके यहां रोजाना आठ से 10 मामले आ रहे हैं। जबकि इससे पहले सप्ताह में यह आंकड़ा चार से पांच था। दिल्ली एम्स के ही एक डॉक्टर ने कहा कि फंगस रोगियों की संख्या उनके यहां तेजी से बढ़ रही है लेकिन इंजेक्शन पर्याप्त न होने की वजह से मरीजों का ऑपरेशन करना पड़ रहा है।
भारी मन से किया फैसला
दवा की कमी के कारण कोर्ट ने दवा वितरण के लिए नीति बनाने की बात भारी मन से कही है। कोर्ट का कहना है कि एक व्यक्ति का जीवन दूसरे व्यक्ति के जीवन से कम महत्वपूर्ण नहीं होता। लेकिन चूंकि युवा देश का भविष्य है ऐसे में दवा वितरण में युवाओं को प्राथमिकता दी जाए।