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Narendra Modi Cabinet Reshuffle: कोरोना काल में मोदी सरकार की नाकामी छुपाने के लिए डॉ हर्षवर्धन को बनाया गया बलि का बकरा? रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर को हटाने के क्या है मायने

Narendra Modi Cabinet Reshuffle : मोदी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है। लेकिन नए मंत्रियों की आमद से ज्यादा मंत्रियों की छुट्टी पर ज्यादा चर्चा का विषय रही। हेल्थ मिनिस्टर से लेकर एजुकेशन मिनिस्टर और आईटी मिनिस्टर से लेकर आईएनबी मिनिस्टर और लेबर मिनिस्टर की छुट्टी की गई है। कुल मिलाकर 12 मंत्रियों को मोदी मंत्रिमंडल से बाहर किया गया है।

Narendra Modi Cabinet Reshuffle
inkhbar News
  • Last Updated: July 7, 2021 21:45:39 IST

नई दिल्ली. मोदी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है। लेकिन नए मंत्रियों की आमद से ज्यादा मंत्रियों की छुट्टी पर ज्यादा चर्चा का विषय रही। हेल्थ मिनिस्टर से लेकर एजुकेशन मिनिस्टर और आईटी मिनिस्टर से लेकर आईएनबी मिनिस्टर और लेबर मिनिस्टर की छुट्टी की गई है। कुल मिलाकर 12 मंत्रियों को मोदी मंत्रिमंडल से बाहर किया गया है।

सरकार ने चढ़ाया भेंट

कोरोना महामारी में सरकार की बहुत फजीहत हुई। अस्पताल और ऑक्सीजन की कमी से मरते लोग ने सरकार के चेहरे को धूमिल किया। देश ही नहीं विदेश में भी भारत की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की जमकर आलोचना हुई। लेकिन क्या इन सारी विफलताओं का ठीकरा हर्षवर्धन सिंह पर फोड़ना ठीक है? क्या मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री पद से हटा देने से केंद्र सरकार सारे सवालों से बच जाएगी।
आज का इस्तीफा तो यही दर्शाता है कि हर्षवर्धन सिंह को नरेंद्र मोदी का चेहरा साफ सुथरा रखने के लिए बलि का बकरा बना दिया गया। क्योंकि जितनी जवाबदेही डॉ हर्षवर्धन की है उतनी ही मोदी सरकार की भी। ऐसा नहीं है ये गाज सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री पर ही गिरी हो बाकी की भी चर्चा करते हैं।

ट्विटर वार रविशंकर को पड़ा भारी

माना जा रहा है कि प्रसाद ने ट्विटर विवाद को सही से हैंडल नहीं किया, जिसकी वजह से सरकार और पीएम पर भी सवाल उठे, जो उनकी छुट्टी की एक वजह बना।

प्रसाद के पास कानून मंत्रालय भी था। पिछले महीने ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में सख्त टिप्पणी की थी। पिंजरा तोड़ ग्रुप की सदस्य नताशा समेत तीन आरोपियों को जमानत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य ने संवैधानिक रूप से मिले विरोध के अधिकार और आतंकी गतिविधियों के बीच की लाइन को धुंधला कर दिया है। कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में भी कई मामलों में कानून मंत्रालय सरकार का पक्ष मजबूती से नहीं रख पाया।

सूचना- प्रसारण मंत्री और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी इस्तीफा ले लिया गया। सरकार के प्रवक्ता होने के नाते जावड़ेकर और उनके मंत्रालय की जिम्मेदारी थी कि वह कोरोना काल में सरकार की इमेज सही करने के लिए कदम उठाएं लेकिन उनका मंत्रालय इसमें असफल रहा।

देश से लेकर विदेश तक कोरोना की दूसरी लहर में मोदी सरकार की किरकिरी हुई। लोगों ने खुलकर सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक सरकार की आलोचना की। यहां तक मोदी सरकार को चेहरा चमकाने के लिए फ्री वैक्सीन के धन्यवाद वाले पोस्टर छपवाने पड़े।

यानी अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो क्या अभी मंत्रिमण्डल में इतने बड़े बदलाव की ज़रूरत थी जब तीसरी लहर सिर पर खड़ी हो। या फिर ये इस्तीफे इस बात की तस्दीक करते हैं कि कोरोनाकाल में मोदी सरकार पूरी तरह विफल हुई है।

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