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Hindu Nav Varsh 2022: आओ सब मिलकर भारतीय (हिंदू) नव वर्ष मनाएं

 बालकृष्ण उपाध्याय Hindu Nav Varsh 2022 नई दिल्ली, Hindu Nav Varsh 2022 भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः यह तिथियां मार्च और अप्रैल महीने में ही पड़ती है। पंजाब में नया साल बैसाखी के नाम से तो सिख नानक शाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होला मोहल्ला […]

Hindu Nav Varsh 2022
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  • Last Updated: March 31, 2022 16:43:23 IST

 बालकृष्ण उपाध्याय

Hindu Nav Varsh 2022

नई दिल्ली, Hindu Nav Varsh 2022 भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः यह तिथियां मार्च और अप्रैल महीने में ही पड़ती है। पंजाब में नया साल बैसाखी के नाम से तो सिख नानक शाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होला मोहल्ला के नाम से नया वर्ष मनाया जाता है। बात करें बंगाली, तमिल, तेलुगू के नए वर्ष की तो इनके नये वर्ष भी इसी तिथि के आसपास आता है । आंध्र प्रदेश,तेलंगाना और कर्नाटक में इसे उगादी (युगादी= युग+आदि का अपभ्रंश) रूप में मनाया जाता है । यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। तमिल और केरल में नया वर्ष विशु के नाम से मनाया जाता है । कश्मीरी कैलेंडर में यह नवरहे के नाम से तो महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह है कि संपूर्ण भारत में नया वर्ष लगभग मार्च से अप्रैल के बीच में ही मनाया जाता है । अगर हम संपूर्ण भारत के नए वर्ष की बात करें तो हिंदुओं का नया वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से आरंभ होता है । इसे ज्यादातर जगह पर गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व 

इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की। सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है। प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है। सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया। सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की । युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ। संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन। महर्षि गौतम जयंती भी आज के दिन ही है।

भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व 

वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है। फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है। नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है। इतने अच्छे शुभ दिन को छोड़ हम अंग्रेज़ो के द्वारा स्थापित 1 जनवरी को नया वर्ष क्यों मानते हैं? आज से हम प्रण करें कि आने वाले समय में हम अपना नववर्ष अर्थात हिंदू नव वर्ष ही मनाएंगे।

हम अपने भारतीय नववर्ष पर गर्व करें, आओ सब साथ मिलकर नए वर्ष की खुशियां मनाएं और इन खुशियों को जन जन तक पहुंचाने का काम करें । आप सभी को भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं….

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