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Amit Shah in Loksabha: लोकसभा में बोले अमित शाह, “आवाज़ ऊँची है, कश्मीर के मुद्दे पर गुस्सा आ जाता है!”

Amit Shah in Loksabha नई दिल्ली, सोमवार को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिरी सप्ताह में, गृहमंंत्री अमित शाह ने लोकसभा (Amit Shah in Loksabha) में दण्ड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक 2022 (Criminal Procedure Identification Bill 2022) पेश किया. बिल पर अपनी बात रखते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी आवाज़ ऊँची […]

एमसीडी मर्जर बिल
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  • Last Updated: April 4, 2022 20:01:26 IST

Amit Shah in Loksabha

नई दिल्ली, सोमवार को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिरी सप्ताह में, गृहमंंत्री अमित शाह ने लोकसभा (Amit Shah in Loksabha) में दण्ड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक 2022 (Criminal Procedure Identification Bill 2022) पेश किया. बिल पर अपनी बात रखते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी आवाज़ ऊँची है और कश्मीर के सवाल पर अपने आप ही गुस्सा आ जाता है.

क्यों लाया गया यह विधेयक?

गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि वे दण्ड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक 2022 लेकर आए हैं, जो 1920 के बंदी शिनाख्त कानून की जगह लेने वाला है. इस बिल से दोष सिद्ध करने के लिए विभिन्न सबूत जुटाए जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि दोष सिद्ध का प्रमाण जब तक नहीं बढ़ता, तब तक देश में कानून व्यवस्था की परिस्थिति और देश की आंतरिक सुरक्षा दोनों को प्रस्थापित करना, बहाल करना और मजबूत करना मुमकिन नहीं हो पाएगा. इसलिए ये दण्ड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक 2022 लाया गया है.

“बिल बहुत लेट हो गया है”

सदन में अमित शाह ने कहा कि यह बिल काफी लेट हो गया है. 1980 में ही विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बंदी शिनाख्त कानून 1920 पर पुनर्विचार करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा, लेकिन इसपर बार-बार चर्चाएं ही होती रह गई. वहीं, सरकार बनने के बाद इस बिल पर राज्यों से चर्चा भी की गई और पत्र व्यवहार भी किया गया है. दुनिया भर में क्रिमिनल लॉ में दोष सिद्धि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बहुत से प्रावधानों का अध्ययन करने के बाद यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने इस पर कई आपत्तियां भी जताई. व्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी चिंता जताई गई इसलिए उन सभी लोगों की चिंताओं को बिल में शामिल किया गया है.

“मैं कभी किसी को नहीं डांटता, मेरी आवाज ज़रा ऊंची है”

वहीं, आखिर में टीएमसी की तरफ से टिपण्णी की गई कि अमित शाह कभी दादा शब्द का इस्तेमाल न करें, क्योंकि जब वो दादा बोलते हैं तो ऐसा लगता है जैसे वो किसी को दांत रहे हो. इस पर अमित शाह ने कहा कि, ‘नहीं, नहीं मैं कभी किसी को नहीं डांटता, वो तो मेरी आवाज़ ही ज़रा ऊँची है. ये मेरी मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है, यूँ तो मैं कभी गुस्सा नहीं होता हूँ, बस कश्मीर का जब सवाल आता है, तब गुस्सा आ जाता है.’

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