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कर्नाटक HC का फैसला, अपराध की सूचना मिलते ही FIR दर्ज करना जरूरी नहीं

दक्षिण भारत। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने को लेकर एक टिप्पणी की है जो चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा था कि किसी अपराध की सूचना मिलने के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज करना जरूरी नहीं है, ताकि जांच को वैध बनाया जा सके. जस्टिस श्रीनिवास हरीश […]

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  • Last Updated: April 10, 2022 17:19:53 IST

दक्षिण भारत। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने को लेकर एक टिप्पणी की है जो चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा था कि किसी अपराध की सूचना मिलने के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज करना जरूरी नहीं है, ताकि जांच को वैध बनाया जा सके. जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार फर्जी पासपोर्ट बनाने के मामले की सुनवाई कर रहे थे.

कोर्ट ने कही ये मुख्य बातें

रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा, ‘जब भी किसी पुलिस अधिकारी को फोन पर या किसी अन्य तरीके से किसी अपराध की जानकारी मिलती है, तो तुरंत एफआईआर दर्ज करना जरूरी नहीं है. बल्कि पुलिस अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह अपराध को होने से रोकने के लिए तत्काल उपाय करे. यदि अपराध उसकी उपस्थिति में किया जाता है तो बाद में सीआरपीसी की धारा 41 के तहत कार्रवाई करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है.

बता दें कि न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार कथित मानव तस्करी के उद्देश्य से फर्जी पासपोर्ट बनाने के एक आरोपी से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग मानव तस्करी के मकसद से फर्जी पासपोर्ट बनाने में शामिल हैं. बाद में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जांच की और फिर इस मामले में आरोपी को दोषी करार दिया गया. इसके बाद आरोपी की ओर से याचिका दायर की गई.

याचिकाकर्ता ने दिया था यह तर्क

याचिकाकर्ता ने यह तर्क देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया कि, “जिस अधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज की थी, उसने खुद जांच की और इसलिए पूरी जांच सही नहीं है.” याचिकाकर्ता ने इस तथ्य पर भी जांच पर सवाल उठाया कि अपराध के तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी, चूंकि पूरी जांच कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई थी, जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ है.

आपको बता दें कि हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी हिजाब विवाद को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि वहां के नियमों के मुताबिक स्कूल-कॉलेजों में ड्रेस कोड लागू होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य नहीं है. कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है.