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महाराष्ट्र सियासी संकट : फ्लोर टेस्ट के फैसले पर इस्तीफ़ा देंगे सीएम उद्धव?

मुंबई, महाराष्ट्र सरकार को सियासी संकट पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से घेरे हुए है. जहां भाजपा की मांग पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फ्लोर टेस्ट को लेकर सरकार को नोटिस दे दिया है. इस नोटिस को लेकर शिवसेना में हलचल मच गई है. जहां इस फ्लोर टेस्ट के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम […]

Maharashtra Political Crisis: Will CM Uddhav resign on floor test decision?
inkhbar News
  • Last Updated: June 29, 2022 19:09:16 IST

मुंबई, महाराष्ट्र सरकार को सियासी संकट पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से घेरे हुए है. जहां भाजपा की मांग पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फ्लोर टेस्ट को लेकर सरकार को नोटिस दे दिया है. इस नोटिस को लेकर शिवसेना में हलचल मच गई है. जहां इस फ्लोर टेस्ट के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. ख़बरों की मानें तो अगर सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट को लेकर शिवसेना के हक में फैसला नहीं देती है तो सीएम उद्धव ठाकरे इस्तीफ़ा दे सकते हैं. यानी अगर कल फ्लोर टेस्ट किया गया तो सीएम ठाकरे अपना इस्तीफ़ा दे देंगे. बहरहाल SC में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुनवाई जारी है. अभी भी फैसला आना बाकी है. इस याचिका में आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखा. जहां राज्यपाल के फैसले पर सिंघवी ने सवाल उठाए.

नहीं ली गई CM-मंत्रिमंडल की सलाह

सिंघवी के सभी तर्कों को लेकर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखाई दी. SC में सिंघवी ने शिवसेना का पक्ष रखते हुए कहा कि राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले न ही CM और न ही मंत्रिमंडल से सलाह ली. जबकि इस मामले में उन्हें पूछना चाहिए था. सिंघवी आगे कहते हैं, राज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के बजाय फडणवीस के इशारे और सलाह पर काम कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान सिंघवी ने अपने बयान को दोहराया कि “कोई सड़क से उठकर फ्लोर टेस्ट में शामिल नहीं कैसे हो सकता है. जो सदन का सदस्य नहीं है उसे वोट डालने की इजाजत कैसे दी जा सकती है?”

समर्थन चिट्ठी का भी ज़िक्र

सुनवाई के दौरान SC ने उन 34 विधायकों की समर्थन वाली चिट्ठी का भी जिक्र किया। यह चिट्ठी राज्यपाल को दी गई थी. कोर्ट ने पूछा कि क्या सिंघवी इस चिट्ठी पर भी सवाल उठाते हैं? इस सवाल पर सिंघवी ने कहा कि इस चिट्ठी की विश्वसनीयता को लेकर किसी को कोई जानकारी नहीं है. जहां राज्यपाल ने एक हफ्ते तक चिट्ठी पर कोई एक्शन नहीं लिया था. जब विपक्ष से उनकी मुलाकात हुई तो उन्होंने एक्शन लिया।

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