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राष्ट्रपति चुनाव 2022: शिवसेना ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन पर तोड़ी चुप्पी, संजय राउत बोले…

मुंबई। देश में सर्वोच्च सवेंधानिक पद राष्ट्रपति के लिए चुनाव होने जा रहा है. इस चुनाव में सत्तापक्ष एनडीए ने अपनी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतारा है. वहीं विपक्षी दल यूपीए ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है। इसी बीच महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के बाद से शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव के […]

राष्ट्रपति चुनाव 2022:
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  • Last Updated: July 14, 2022 14:13:29 IST

मुंबई। देश में सर्वोच्च सवेंधानिक पद राष्ट्रपति के लिए चुनाव होने जा रहा है. इस चुनाव में सत्तापक्ष एनडीए ने अपनी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतारा है. वहीं विपक्षी दल यूपीए ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है। इसी बीच महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के बाद से शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए (NDA) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) का समर्थन दे दिया है. इस मामले पर शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा है कि हम एनडीए में नहीं हैं, लेकिन द्रौपदी मुर्मू को समर्थन कर रहे है. ये कोई राजनीतिक समर्थन नहीं है. इससे पहले भी ऐसे ही शिवसेना ने प्रतिभा पाटिल (Pratibha Patil) और प्रणब मुखर्जी (Pranav Mukerjee) का भी समर्थन किया था.

संजय राउत ने क्या कहां?

द्रौपदी मुर्मू के मातोश्री आने पर संजय राउत ने कहा कि उन्हें नहीं पता है कि वो उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए मातोश्री आ रही हैं या नहीं. इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र में आई भीषण बाढ़ पर बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में 12 दिन बीत गए लेकिन सरकार काम नहीं कर रही है. ये सरकार अवैध है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि 12 दिनों से महाराष्ट्र के राज्यपाल कहां है? महाराष्ट्र में बाढ़ जैसे गंभीर हालात बने हुए हैं.

शिवसेना ने विपक्ष को दिया झटका

बता दें कि इससे पहले भी संजय राउत ने कहा था कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का मतलब बीजेपी का समर्थन करना नहीं है. हम आदिवासी नेता के नाम पर द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे रहे हैं. इसके अलावा जनभावना को देखते हुए भी यह फैसला लिया गया है. बता दें कि विपक्ष के उम्मीदवार को लेकर जब मीटिंग हुई थी, तब उसमें शिवसेना ने भी हिस्सा लिया था. लेकिन अब उसका रुख विपक्षी एकता को भी एक झटके जैसा है.

शिवसेना ने ऐसे ही समर्थन नहीं दिया

दरअसल, उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने सांसदों की मीटिंग बुलाई थी. इसमें 19 लोकसभा सांसदों में से 12 ही पहुंचे थे और 7 गायब थे. यही नहीं मीटिंग में शामिल सांसदों ने भी ठाकरे पर दबाव बनाया था कि पार्टी को द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) का समर्थन देना चाहिए. इस पर उद्धव ठाकरे ने विचार करने की बात कही थी. अब संजय राउत (Sanjay Raut) के बयान ने साफ कर दिया है कि पार्टी बचाने के लिए शिवसेना (Shiv Sena) को अपने रुख में बदलाव लाना पड़ा है.

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