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Gopalganj By elections : गोपालगंज में जीत के बाद क्या बोलीं कुसुम देवी ?

गोपालगंज. बिहार की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. मोकामा सीट पर जहां राजद की उम्मीदवार नीलम देवी ने जीत हासिल की है, वहीं गोपालगंज सीट पर फिर से बीजेपी का कब्जा हो गया है. बीजेपी प्रत्याशी कुसुम देवी ने राजद के मोहन गुप्ता को 2183 हजार से अधिक मतों […]

(कुसुम देवी-गोपालगंज विधानसभा)
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  • Last Updated: November 6, 2022 18:07:34 IST

गोपालगंज. बिहार की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. मोकामा सीट पर जहां राजद की उम्मीदवार नीलम देवी ने जीत हासिल की है, वहीं गोपालगंज सीट पर फिर से बीजेपी का कब्जा हो गया है. बीजेपी प्रत्याशी कुसुम देवी ने राजद के मोहन गुप्ता को 2183 हजार से अधिक मतों से हरा दिया है. बता दें कि कुसुम देवी को करीब उपचुनाव में 70053 हजार मत मिले हैं, वहीं राजद उम्मीदवार मोहन गुप्ता को 67870 हजार मत मिले हैं. यह पांचवीं बार है जब गोपालगंज की सीट भाजपा के खाते में रही हैं. जीत के बाद गोपालगंज में भाजपा प्रत्याशी कुसुम देवी मतगणना केंद्र पर पहुंच गई है. उन्होंने जीत को दिवंगत विधायक सुभाष सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि बताया है. कुसुम देवी ने कहा कि यह जीत जनता की जीत है.

इतिहास

अगर गोपालगंज सीट के पिछले छह विधानसभा चुनाव के परिणामों की ओर नज़र डालें तो साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी सुभाष सिंह ने 77 हज़ार 791 वोट हासिल कर यहाँ भाजपा का परचम लहराया था, जबकि बसपा प्रत्याशी अनिरुद्ध प्रसाद (साधु यादव) 41 हज़ार 39 वोटों से दूसरे नंबर पर रहे थे वहीं अगर तीसरे नंबर की बात करें तो इसपर कांग्रेस प्रत्याशी आसिफ गफूर 36 हज़ार 460 वोटों के साथ थे. इसी तरह अब अगर 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो तब भी भाजपा प्रत्याशी सुभाष सिंह ने 78 हज़ार 491 वोटो हासिल कर भाजपा की जीत सुनिश्चित की थी. वहीं राजद प्रत्याशी रेयाजुल हक (राजू) 73 हज़ार 417 वोटों से दूसरे नंबर पर थे, उस समय आरजेडी और भाजपा प्रत्याशी में वोट का बहुत कम फासला था. इसी कड़ी में तब बसपा प्रत्याशी जय हिंद प्रसाद 3 हज़ार 665 वोटों से तीसरे नंबर पर थे, इसी तरह साल 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुभाष सिंह ने 58 हज़ार 10 वोटों के साथ जीत हासिल की थी, और तब कांग्रेस प्रत्याशी अनिरुद्ध प्रसाद (साधु यादव) 8 हज़ार 488 वोटों से दूसरे नंबर पर रहे थे.
2005 में एक बार फिर चुनावी रणभेरी बजी और इस बार नीतीश कुमार को बढ़त मिली, यहाँ तक कि अकेले दम पर चुनाव लड़ने वाले पासवान को भी मुंह की खानी पड़ी, क्योंकि पासवान की पार्टी इस चुनाव में अकेले दम पर (कुछ जगहों पर सीपीआई के साथ समझौता) सबसे ज्यादा 203 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन मात्र 10 सीटें ही जीत पाई, उनका मुस्लिम दांव पूरी तरह विफल हुआ, वहीं लालू को तो नुकसान हुआ ही. इसी कड़ी में गोपालगंज सीट भी उनके हाथ से चली गई.

 

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