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Delhi MCD : क्यों हार के बाद भी मेयर बनाने का दावा कर रही है BJP?

नई दिल्ली : दिल्ली एमसीडी में लगातार तीन चुनावी सालों तक जीत दर्ज़ करने और 15 साल तक राज करने के बाद भाजपा हार गई. आम आदमी पार्टी पहली बार दिल्ली की एमसीडी पर सवार हो चुकी है जहां आम आदमी पार्टी और भाजपा में कड़ाके की टक्कर देखने को मिली. आप को कुल 134 […]

Why is BJP claiming to be mayor even after defeat?
inkhbar News
  • Last Updated: December 7, 2022 17:28:45 IST

नई दिल्ली : दिल्ली एमसीडी में लगातार तीन चुनावी सालों तक जीत दर्ज़ करने और 15 साल तक राज करने के बाद भाजपा हार गई. आम आदमी पार्टी पहली बार दिल्ली की एमसीडी पर सवार हो चुकी है जहां आम आदमी पार्टी और भाजपा में कड़ाके की टक्कर देखने को मिली. आप को कुल 134 सीटें मिली हैं और भाजपा को 104. अब दिल्ली को उसके नए मेयर का इंतज़ार है. हालांकि हारने के बाद भी भाजपा लगातार दिल्ली में अपना मेयर लाने का दावा ठोक रही है.

आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों पार्टियां अब अपना-अपना मेयर बनाने का दावा ठोक रहे हैं. इस बीच भाजपा हार के बाद भी मेयर बनाने का दावा कर रही है. आइए जानते हैं कि क्या भाजपा के दावे खोखले हैं या फिर इनमें कुछ दम भी है. क्या हारने के बाद भी पार्टी दिल्ली एमसीडी में अपना मेयर खड़ा कर सकती है?

खोखले नहीं है BJP के दावे

 

बता दें, एमसीडी चुनाव में दलबदल का कानून लागू नहीं होता है. ऐसे में ये संभव है कि मेयर के चुनाव के समय क्रॉस वोटिंग हो. भाजपा के दावों से भी इसी बात का संदेश मिल रहा है.

मनोनीत सदस्यों की शक्ति

दूसरी ओर केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है. ऐसे में भाजपा के पास अभी भी 12 मनोनीत सदस्यों की शक्ति है. सीटों की संख्या देखें तो भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कुछ ज़्यादा का फर्क नहीं है. 30 सीटों के अंतर से आम आदमी पार्टी भाजपा पर हावी है. हालांकि मनोनीत सदस्यों के बाद ये संख्या 18 हो जाएगी. ऐसे में ये संभव है कि भाजपा बाकी की सीटों को मिलाकर और राजनीतिक हेर फेर कर दिल्ली में हार के बाद भी अपना मेयर लेकर आ जाए.

एक साल का होता है मेयर का कार्यकाल

मालूम हो दिल्ली एमसीडी में जो पार्टी जीत कर आएगी, उसका कार्यकाल 5 साल तो होगा लेकिन इसका पार्षद लगातार पांच साल तक मेयर नहीं रह सकता है. मेयर के कार्यकाल को दिल्ली में सिर्फ एक साल के लिए रखा गया है. इतना ही नहीं मेयर का चुनाव भी सीधे तौर पर नहीं होता. जीतकर आए पार्षद द्वारा ही हर साल मेयर चुना जाता है. दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुसार पांच साल के कार्यकाल में कोई भी पार्षद मेयर नहीं बन सकता। रिजर्वेशन नियम के तहत पहला साल महिला पार्षद ही मेयर बनेगी। वहीं तीसरा साल अनुसूचित जाति का कोई पार्षद ही दिल्ली का मेयर बनेगा. इस बीच तीन वर्ष अनारक्षित होंगे यानी इन वर्षों में कोई भी पार्षद इस पद के लिए दावेदारी कर सकेगा.

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