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Westerlies का भारत पर क्या होगा असर? क्या दिल्ली समेत देशभर के लिए बनेगा आफत

नई दिल्ली: इस बार देश में कड़ाके की सर्दी पड़ेगी। पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश की उम्मीद है. इसकी वजह है वेस्टरलीज यानी पश्चिमी विक्षोभ। यह भूमध्य सागर में शुरू होती है और फिर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के माध्यम से मध्य पूर्व से भारत पहुंचती है। भारत में, यह जम्मू और कश्मीर […]

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  • Last Updated: December 9, 2022 21:25:23 IST

नई दिल्ली: इस बार देश में कड़ाके की सर्दी पड़ेगी। पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश की उम्मीद है. इसकी वजह है वेस्टरलीज यानी पश्चिमी विक्षोभ। यह भूमध्य सागर में शुरू होती है और फिर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के माध्यम से मध्य पूर्व से भारत पहुंचती है। भारत में, यह जम्मू और कश्मीर से हिमाचल और उत्तराखंड से निकलती है। इस बार यह दिल्ली की ओर बढ़ रही है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार पश्चिमी विक्षोभ में काफी उमस है. मतलब कि वह अपने साथ बहुत सारा पानी लेकर आ रहा है. इससे पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना है, जबकि मैदानी इलाकों में बारिश होगी। हिमाचल और उत्तराखंड के तमाम इलाकों में बर्फबारी का आगाज़ हो चुका है. पश्चिमी पवन रेखा के नीचे वाले क्षेत्रों में अधिक बारिश हो सकती है।

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इस वर्ष पश्चिमी हवाएँ गीली और ठंडी हो सकती हैं. जब इसकी नमी भारत के ऊपरी इलाकों में पहुँचेगी तो भयानक हिमपात हो भी सकता है. इसका सीधा असर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड पर पड़ेगा। पहाड़ी राज्यों में यह उत्तराखंड तक बढ़ जाती है जबकि मैदानी इलाकों में यह आगरा तक बढ़ जाती है। दिल्ली इस बार इस ठंडी हवा के शिकंजे में बताई जा रही है. जिसका सीधा मतलब है कि इस बार यहाँ कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है.

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पछुआ हवाएं जिसे पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है वो समुद्र के निचले स्तर के तापमान पर निर्भर करती है। भूमध्य सागर में, यदि समुद्र के निचले स्तर का तापमान सामान्य है, तो सर्दियों में बहुत कम वर्षा होती है। लेकिन जब तापमान में गर्मी आती है, तो वातावरण में आर्द्रता बढ़ जाती है जो बर्फबारी और बरसात का कारण बनती है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिमला, नैनीताल, गुलमर्ग जैसी जगहों पर भारी बर्फबारी की उम्मीद है. ज्यादा बर्फबारी का अर्थ है ज्यादा सर्दी। ऐसे में वो लोग जो पहाड़ी इलाकों में रहते हैं वो लोग सतर्क हो जाए और आपको बता दें, यदि हिमालयी राज्यों में ज्यादा बर्फबारी होती है तो यहाँ से देश के दूसरे उत्तरी राज्यों की ओर जाने वाली हवाएं काफी सर्द होंगी। यानी कि इस बार सर्दी के मौसम में कड़ाके की सर्दी पड़ेगी।

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