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Delhi: सौरभ कृपाल बनेंगे HC के पहले समलैंगिक जज? फिर से दोहराई नियुक्ति की शिफारिश

नई दिल्ली : सीनियर वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने को लेकर SC की कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को फिर से अपनी सिफारिश भेजी है. कॉलेजियम की इस सिफारिश को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच एक बार फिर तकरार पैदा हो सकती है। पिछले साल भी की […]

Saurabh Kirpal
inkhbar News
  • Last Updated: January 19, 2023 22:58:45 IST

नई दिल्ली : सीनियर वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने को लेकर SC की कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को फिर से अपनी सिफारिश भेजी है. कॉलेजियम की इस सिफारिश को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच एक बार फिर तकरार पैदा हो सकती है।

पिछले साल भी की थी शिफारिश

कॉलेजियम ने दिल्ली HC के जस्टिस के रूप में सौरभ कृपाल की नियुक्ति के लिए 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को एक बार फिर दोहराया है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ के बीच आयोजित एक कॉलेजियम की बैठक में ये निर्णय लिया गया. जहां बतौर दिल्ली हाईकोर्ट के जज सौरभ किरपाल की नियुक्ति की सिफारिश को दोहराने का निर्णय लिया गया था.

एससी कॉलेजियम ने कहा कि सौरभ कृपाल के पास क्षमता, अखंडता और बुद्धि है. उनकी नियुक्ति हाईकोर्ट की खंडपीठ के लिए विविधता देगी. कृपाल के आचरण और व्यवहार की भी कॉलेजियम ने सराहना की और कहा, “उम्मीदवार के लिए यह सलाह दी जा सकती है कि वह उन कारणों के संबंध में प्रेस से बात न करें, जो कॉलेजियम की सिफारिशों पर पुनर्विचार के लिए वापस भेजे जाने के कारण हो सकते हैं।”

सकारात्मक पहलुओं को तोलने का दिया तर्क

सर्वोच्च न्यायलय कॉलेजियम ने आगे कहा कि इस पहलू को एक नकारात्मक विशेषता के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. उनका नाम पांच साल से अधिक समय से लंबित रहा है. सौरभ किरपाल की उम्मीदवारी के अधिक सकारात्मक पहलु हैं इसको अधर में तौलना चाहिए। कॉलेजियम ने कहा, “कॉलेजियम दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस के रूप में सौरभ किरपाल की नियुक्ति के लिए 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को दोहराने का संकल्प लेता है, जिस पर शीघ्रता से कार्रवाई करने की आवश्यकता है।”

 

गौरतलब है कि कॉलेजियम ने 1 अप्रैल 2021 के कानून मंत्री के पत्र का जिक्र भी किया है. इस पत्र में ज़िक्र किया गया है कि समलैंगिकता भारत में गैर-अपराध है, फिर भी समान-सेक्स विवाह अभी भी भारत में संहिताबद्ध वैधानिक कानून या असंहिताबद्ध व्यक्तिगत कानून और उम्मीदवार की मान्यता से वंचित है।

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