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सरकारी शिक्षकों के विदेश जाने से बच्चों को क्या मिला फायदा? जानिए सच्चाई

नई दिल्ली : केजरीवाल सरकार हमेशा से दिल्ली के सरकारी स्कूलों को लेकर सक्रिय रही है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बेहतरी के लिए दिल्ली सरकार टीचर को विदेशों में ट्रेनिंग देना चाहती है. इस मुद्दे को लेकर रोज़ दिल्ली सरकार और एलजी के बीच टकराव देखा जा रहा है. दिल्ली सरकार चाहती […]

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  • Last Updated: January 22, 2023 16:48:47 IST

नई दिल्ली : केजरीवाल सरकार हमेशा से दिल्ली के सरकारी स्कूलों को लेकर सक्रिय रही है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बेहतरी के लिए दिल्ली सरकार टीचर को विदेशों में ट्रेनिंग देना चाहती है. इस मुद्दे को लेकर रोज़ दिल्ली सरकार और एलजी के बीच टकराव देखा जा रहा है. दिल्ली सरकार चाहती है कि दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षक फिनलैंड से कुछ सीखकर आएं और सरकारी स्कूलों के बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकें. इस बीच एक सवाल ये भी है कि इस प्रशिक्षण से सरकारी स्कूल के बच्चों को कितना फायदा होगा.

 

AAP सरकार ने शुरू किया प्रोग्राम

आम आदमी पार्टी की 2014 में पहली बार दिल्ली में सरकार बनी. तब से लेकर अब तक केजरीवाल सरकार ने कई सरकारी स्कूल के टीचर्स को सिंगापुर-फिनलैंड के स्कूलों में भेजा. दूसरे देशों से ट्रेनिंग लेकर कई टीचर्स दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों को टीचिंग देते हैं.दिल्ली में साल 2014 से पहले शीला दीक्षित की सरकार थी. उस समय में दिल्ली सरकार ने कभी भी सरकारी स्कूल के टीचर्स को प्रशिक्षण के लिए विदेश नहीं भेजा था.

फिनलैंड जाने से क्या फायदा होगा?

दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल द्वारा टीचर्स को फिनलैंड भेजने से रोक लगाई गई थी. लेकिन सवाल यह भी है कि फिनलैंड जाने वाले यह टीचर महज 5 दिन में ऐसा क्या सीखेंगे जो छात्रों को बेहतर ट्रेनिंग मिल पाएगी. सरकार चाहे तो विदेशों से भी टीचर्स भारत बुलाकर बड़े स्केल पर सरकारी स्कूल के टीचरों को ट्रेनिंग दिलवा सकती है.यदि ऐसा होता है तो ट्रेनिंग के दौरान ना केवल टीचर्स बल्कि छात्र भी कुछ नया सीख पाएंगे.

दिल्ली सरकार का पक्ष देखें तो इस ट्रैनिंग प्रोग्राम से बच्चों को काफी फायदा हुआ है. आप प्रवक्ता गजेंद्र भारद्वाज ने एक समाचार चैनल से इस संबंध में बातचीत की और बताया कि बच्चों का रिजल्ट जो पिछली सरकारों में 70 फीसदी होता था आज 99% हो गया है. साथ ही सरकारी स्कूल के बच्चे आईआईटी इंजीनियर जैसे बड़े संस्थानों से भी जुड़ रहे हैं. ये सब टीचर्स की ट्रेनिंग का ही नतीजा है जो बच्चों के भविष्य को अच्छा बना रहा है.

विदेश भेजना ही क्यों जरूरी?

इसके अलावा दिल्ली सरकार के 6 स्कूल देश के टॉप 10 स्कूल में गिने जाते हैं. गजेंद्र भारद्वाज ने उपराज्यपाल पर हमला बोला और कहा पिछले उपराज्यपाल ने लगभग 1100 टीचरों को ट्रेनिंग के लिए सिंगापुर और फिनलैंड भेजा था. लेकिन नए एलजी साहब टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजना नहीं चाहते हैं. इस बीच एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर सरकार ने विदेशी शिक्षा संस्थानों का चयन क्यों किया गया जबकि वहां का एनवायरमेंट और सरकार पॉलिसी हमारे देश से मेल नहीं खाती. सरकारी स्कूल के शिक्षकों को इस ट्रेनिंग के लिए अन्य राज्यों में क्यों नहीं भेजा जा सकता है?

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