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दिल्ली शराब घोटाला: BRS नेता के. कविता को ED का समन, 10 मार्च को होगी पूछताछ

नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी और बीआएस एमएलसी के. कविता को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है। ईडी ने बुधवार को दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए के. कविता को बुलाया है। बता दें, इससे पहले […]

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  • Last Updated: March 8, 2023 09:57:27 IST

नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी और बीआएस एमएलसी के. कविता को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है। ईडी ने बुधवार को दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए के. कविता को बुलाया है।

बता दें, इससे पहले दिल्ली आबकारी नीति मामले में आरोपी कविता के चार्टर्ड अकाउंटेंट बुचिबाबू गोरांटला को सोमवार को कोर्ट से राहत मिली थी। सीबीआई की टीम ने बुचिबाबू को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था। बुचिबाबू को नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भूमिका और हैदराबाद स्थित थोक-खुदरा लाइसेंसधारियों  को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

28 फरवरी को मनीष सिसोदिया हुए थे गिरफ्तार

शराब घोटाला मामले में लंबी पूछताछ के बाद सीबीआई ने 28 फरवरी को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। इसके बाद कोर्ट ने अगले दिन उन्हें 5 दिन के लिए सीबीआई रिमांड पर भेज दिया था। फिर 4 मार्च को एक बार फिर उन्हें दो दिन की सीबीआई रिमांड पर भेजा गया। बता दें कि, मनीष सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली के आबकारी मंत्री रहते हुए शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए गलत तरीके से नियमों में बदलाव किया। उन्होंने शराब कारोबारियों का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाया और बदले में उनसे 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली।

क्या है दिल्ली शराब घोटाला?

दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा नई शराब नीति लेकर आई थी। इस नीति के आने के बाद दिल्ली के शराब कारोबारी ग्राहकों को डिस्काउंटेड रेट पर शराब बेच रहे थे। कई जगहों पर एक बोतल खरीदने पर दूसरी मुफ्त दी जा रही थी। आबकारी नीति के चलते एक समय ऐसा भी आया था, जब दिल्ली में शराब दुकानों की संख्या करीब 650 पहुंच गई थी। ऐसे में जांच एजेंसियों ने नई शराब नीति में घोटाला होने का दावा किया था, जिसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने अबकारी नीति को वापस ले लिया था।