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NCERT Syllabus: राजस्थान में नहीं बदलेंगी इतिहास की किताबें, पढ़ाया जाएगा पुराना पाठ्यक्रम

जयपुर: हाल ही में NCERT की इतिहास की किताबों से मुगलों का चैप्टर हटाया गया था जिसे लेकर काफी विरोध भी हो रहा है. इसी बीच राजस्थान के स्कूली बच्चों को ये चैप्टर पढ़ाई जाने की बात सामने आई है. राजस्थान के स्कूलों में पुरानी किताबों को ही पढ़ाया जाएगा. इसके पीछे की वजह है […]

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  • Last Updated: April 20, 2023 17:14:19 IST

जयपुर: हाल ही में NCERT की इतिहास की किताबों से मुगलों का चैप्टर हटाया गया था जिसे लेकर काफी विरोध भी हो रहा है. इसी बीच राजस्थान के स्कूली बच्चों को ये चैप्टर पढ़ाई जाने की बात सामने आई है. राजस्थान के स्कूलों में पुरानी किताबों को ही पढ़ाया जाएगा. इसके पीछे की वजह है पुराने पाठ्यक्रम में छपी नई किताबें.

छप चुकी हैं करोड़ों किताबें

दरअसल NCERT द्वारा पाठ्यक्रम में बदलाव करने के बाद राज्य में पुराने पाठ्यक्रम की डेढ़ करोड़ किताबें छप चुकी है. इसे देखते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने छात्रों को पुराने पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ने की बात कही है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं किया गया तो इतनी किताबे बर्बाद हो जाएंगी इसलिए इन्हीं किताबों को स्कूलों में पढाया जाएगा.

शिक्षा मंत्री कल्ला ने आगे कहा कि केंद्र ने 30 प्रतिशत कोर्स कम करने के नाम पर इतिहास से छेड़छाड़ की जिसपर हम इतिहासकारों से रिव्यू करा रहे हैं. अगर डेढ़ करोड़ किताबें हट जाती हैं तो राज्य सरकार को 100 करोड़ का नुकसान सहना पड़ेगा.

विपक्ष ने किया हमला

इस विषय पर सांसद दिया कुमारी कहती हैं कि राजनीतिक फायदे के लिए बच्चों को गलत किताबें पढ़ना सही नहीं है. जब केंद्र सरकार ने इन किताबों में बदलाव कर दिया है तो क्या राजस्थान सरकार इन बच्चों को अन्य राज्यों से अलग पढ़ाएगी? उन्होंने आगे कहा कि राजनीति में बच्चों का इस्तेमाल बेहद गलत है. उधर भाजपा के प्रदेश मंत्री लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कांग्रेस सरकार को मुगल प्रेमी करार दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में पुराना पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं, तो पढ़ाने दो वैसे भी 6 महीने बाद जब भाजपा की सरकार आएगी तो पाठ्यक्रम भी बदल दिया जाएगा.

गौरतलब है कि हाल ही में एनसीआरटी ने इतिहास के सिलेबस में बदलाव किए गए हैं. जिसके तहत मुगल, गुजरात दंगा जैसे कई चैप्टरों को कोर्स से हटा दिया गया है. केंद्र सरकार के इस बदलाव को लेकर काफी विरोध भी हो रहा है. जहां सभी राज्यों को इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से पत्र भी जारी किया गया है.

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