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असम: मूल मुस्लिम समुदायों का सर्वे कराएगी सरकार, सीएम हिमंत ने अधिकारियों के साथ की बैठक

दिसपुर: असम की हिमंत बिस्व सरमा सरकार राज्य के पांच मूल मुस्लिम समुदायों का सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण कराने जा रही है. सर्वे का उद्देश्य मुस्लिमों की सामाजिकि और आर्थिक स्थिति के बारे में पता करना है, जिससे उनके उत्थान के लिए कदम उठाया जा सके. सीएम हिमंत ने इस संबंध में मंगलवार को राज्य […]

(असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा)
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  • Last Updated: October 4, 2023 11:27:47 IST

दिसपुर: असम की हिमंत बिस्व सरमा सरकार राज्य के पांच मूल मुस्लिम समुदायों का सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण कराने जा रही है. सर्वे का उद्देश्य मुस्लिमों की सामाजिकि और आर्थिक स्थिति के बारे में पता करना है, जिससे उनके उत्थान के लिए कदम उठाया जा सके. सीएम हिमंत ने इस संबंध में मंगलवार को राज्य सचिवालय में अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की है.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने दी जानकारी

असम के मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर मुस्लिम समुदाय के सर्वेक्षण की जानकारी दी है. सीएमओ ने लिखा है, ‘जनता भवन में एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने संबंधित अधिकारियों को असम के मूल मुस्लिम समुदायों (गोरिया, मोरिया, देशी, सैयद और जोल्हा) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया है.’ वहीं, सरकार से जुड़े लोगों ने बताया है कि इस सर्वे के निष्कर्ष से अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक उत्थान के लिए कदम उठाने में राज्य सरकार को काफी मदद मिलेगी.

कांग्रेस ने सरकार से की ये मांग

उधर, असम कांग्रेस के नेता देबब्रत सैकिया ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि अगर एससी-एसटी का भी सर्वे कराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि गोरिया और मोरिया मूल मुस्लिम समुदाय हैं. ये ओबीसी क्लास से संबंधित हैं, फिर सरकार सेलेक्टिव होकर सर्वे क्यों करा रही है? राज्य सरकार का इरादा अगर अच्छा है तो ओबीसी समुदाय के साथ-साथ एससी और एसटी का भी सर्वे कराया जाना चाहिए.

पहले भी हुआ था धन आवंटित

कांग्रेस नेता ने कहा कि सिर्फ मुस्लिमों का और मुख्य रूप से ओबीसी मुसलमानों का सर्वे करवाना भाजपा की विभाजनजारी रणनीति का हिस्सा है. यह बिहार सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण के बाद प्रतिक्रिया में उठाया गया कदम है. सैकिया ने आगे कहा कि इससे पहले राज्य की सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने भी असम के मूल मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक सर्वे के लिए धन आवांटित किया था, लेकिन सर्वेक्षण कभी हुआ ही नहीं.

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