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दशहरे के दिन से अग्नि पंचक शुरू, क्या इस मौके पर रावण दहन किया जाना सही होगा? आइए जानते हैं

नई दिल्ली: दशहरे के दिन से अग्नि पंचक शुरू हो रहे हैं. हिंदू धर्म में अग्नि पंचक को अशुभ माना जाता है. हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले अग्नि पंचक में शुभ-अशुभ मुहूर्त को देखा जाता है. वहीं आज विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस स्थिति में आपके मन […]

Dussehra2023
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  • Last Updated: October 24, 2023 09:41:20 IST

नई दिल्ली: दशहरे के दिन से अग्नि पंचक शुरू हो रहे हैं. हिंदू धर्म में अग्नि पंचक को अशुभ माना जाता है. हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले अग्नि पंचक में शुभ-अशुभ मुहूर्त को देखा जाता है. वहीं आज विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा है।

इस स्थिति में आपके मन में ये सवाल आ सकता है कि अग्नि पंचक में क्या रावण दहन किया जाना सही होगा? वहीं पंचांग के मुताबिक आज सुबह 4 बजकर 21 मिनट से अग्नि पंचक शुरू हो रहा है जो 28 अक्टूबर शनिवार को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा।

दशहरे के पूरे दिन पंचक का साया रहने वाला है. आपको बता दें कि पंचक में अंतिम संस्कार तक की मनाही होती है. इस स्थिति में अगर रावण के पुतले का दहन होता है तो ये अशुभ हो सकता है. ऐसे में पचंक के प्रभाव से बचने के लिए रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के साथ ही पांच अन्य पुतलों को भी जलाया जाना चाहिए।

क्या है पंचक

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और उत्तराभाद्रपद, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद के साथ ही रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक माना जाता है. वहीं चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशि में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है. अर्थात् पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, पूर्वा भाद्रपद, रेवती नक्षत्र ,शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद में आते हैं. इस सभी नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है।

. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का डर रहता है।
. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की ज्यादा आशंका रहती है।
. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की अधिक आशंका रहती है।
. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
. रेवती नक्षत्र में धन हानि होने की आशंका रहती है।

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