Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • Chhath Puja 2023: सूर्योपासना का महापर्व छठ आज से शुरू, जानें 4 दिन का पूरा कार्यक्रम

Chhath Puja 2023: सूर्योपासना का महापर्व छठ आज से शुरू, जानें 4 दिन का पूरा कार्यक्रम

नई दिल्ली। सूर्योपासना का महापर्व छठ आज यानी 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। इसमें पहले दिन खरना का प्रसाद बनेगा, वहीं इसके अगले दो दिनों तक भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा और आखिरी दिन व्रती पारण करेंगे। इसके साथ ही यह छठ महापर्व समाप्त हो जाएगा। चार दिनों तक […]

Inkhabar
inkhbar News
  • Last Updated: November 17, 2023 16:03:27 IST

नई दिल्ली। सूर्योपासना का महापर्व छठ आज यानी 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। इसमें पहले दिन खरना का प्रसाद बनेगा, वहीं इसके अगले दो दिनों तक भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा और आखिरी दिन व्रती पारण करेंगे। इसके साथ ही यह छठ महापर्व समाप्त हो जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस छठ महापर्व की अपनी अलग महानता है और व्रत के सभी अलग-अलग दिनों का काफी खास महत्व है। बता दें कि छठ व्रत के दौरान सभी दिनों का अपना एक अलग महत्व होता है और छठ का व्रत अलग-अलग रूप में और अधिक कठिन होता चला जाता है। आइए जानते हैं 4 दिन के व्रत का पूरा कार्यक्रम।

पहला दिन

छठ उपासना की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि को छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय होता है। इसमें छठ व्रतियां किसी भी नदी, तालाब या अन्य किसी भी जलाशय में स्नान कर इस व्रत का शुरुआत करती हैं। इससे पहले घर की साफ सफाई की जाती है और नहाय-खाय के दिन अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनता है। प्रसाद में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है और यह प्रसाद लोगों के बीच बांटा भी जाता है। बता दें कि यहीं से छठ पर्व की शुरुआत होती है।

दूसरा दिन

छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। बता दें कि इसी दिन से छठ व्रती का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है। पहले सुबह से ही छठ व्रती अन्न जल त्याग कर भगवान सूर्य की आराधना करने लगते हैं। इस दिन शाम को अरवा चावल, दूध, गुड़, खीर इत्यादि का प्रसाद बनता है तथा भगवान भास्कर को चढ़ाने के बाद व्रती भी अल्प प्रसाद ग्रहण करती हैं और इस दिन से निर्जला उपवास की शुरुआत हो जाती है।

तीसरा दिन

छठ महापर्व का तीसरा दिन सबसे ज्यादा कठिन होता है। इस दिन छठ व्रतियों के निर्जला उपवास का दूसरा दिन शुरू हो जाता है तथा इसी दिन छठ व्रती के द्वारा पूजा के दौरान उपयोग में लाया जाने वाला ठेकुआ समेत अन्य प्रसाद भी बनाया जाता है। इसी दिन शाम को लोग छठ घाट जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

चौथा दिन

छठ महापर्व का चौथा दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है। इसी दिन भोर में भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। सुबह के वक्त भी लोग छठ घाट पर पहुंचते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद छठ व्रती पारण करती हैं तथा छठ का व्रत खोल दिया जाता है। बता दें कि इसी के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है।