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BSP MAYAWATI: क्या मायावती राजस्थान के चुनाव में गेम चेंजर बनकर बदलेंगी चुनावी गणित? जानें सभी फॉर्मूले

जयपुर: शुक्रवार को जहां मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है, वहीं बसपा प्रमुख मायावती पड़ोसी राज्य राजस्थान में सियासी जंग लड़ रही हैं. मायावती यूपी से सटे राजस्थान के इलाके से चुनाव प्रचार की शुरुआत कर रही हैं. वह धौलपुर और भरतपुर में जनसभाओं को संबोधित करेंगी, जहां से न सिर्फ […]

BSP MAYAWATI: क्या मायावती राजस्थान के चुनाव में गेम चेंजर बनकर बदलेंगी चुनावी गणित? जानें सभी फॉर्मूले
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  • Last Updated: November 17, 2023 22:34:34 IST

जयपुर: शुक्रवार को जहां मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है, वहीं बसपा प्रमुख मायावती पड़ोसी राज्य राजस्थान में सियासी जंग लड़ रही हैं. मायावती यूपी से सटे राजस्थान के इलाके से चुनाव प्रचार की शुरुआत कर रही हैं. वह धौलपुर और भरतपुर में जनसभाओं को संबोधित करेंगी, जहां से न सिर्फ राजस्थान बल्कि मध्य प्रदेश को भी राजनीतिक संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है.धौलपुर और भरतपुर दोनों इलाके एमपी से सटे हुए हैं. क्या मायावती के चुनावी रण में उतरने से राजस्थान का सियासी माहौल बदल सकता है और मध्य प्रदेश से ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी के बीच तनाव बढ़ सकता है?

माना जा रहा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा और करीबी मुकाबला होगा, लेकिन बीएसपी की एंट्री से कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है. इस बार बीएसपी ने राजस्थान में 196 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन 9 उम्मीदवारों ने मैदान छोड़ दिया है. इस तरह अब बसपा के 185 उम्मीदवार ही मैदान में बचे हैं. ऐसे में अब मायावती चुनाव प्रचार के लिए उतर रही हैं ताकि वह बसपा के पक्ष में राजनीतिक माहौल बना सकें.

जानें मायावती किन सीटों पर रैली कर रहीं

मायावती 17 से 20 नवंबर तक चार दिनों में राजस्थान में आठ रैलियों को संबोधित करेंगी. राज्य में बसपा के चुनाव अभियान को धार देने के लिए मायावती धौलपुर में उतर रही हैं और उसके बाद वह भरतपुर में रैली करेंगी. इसके अलावा शनिवार को अलवर के बानसूर और रविवार को करौली और गंगापुर में जनसभाएं करेंगी. इसी तरह सोमवार को वह झुंझुनू जिले के खेतड़ी और नागौर जिले के लाडनूं में रैलियां करेंगी. राजस्थान में जिन आठ सीटों पर मायावती रैलियां कर रही हैं, वहां दलित मतदाता काफी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

किंगमेकर वाली मायावती की बसपा

राजस्थान की राजनीति में बसपा तीसरी ताकत बनकर उभर रही है. 2008 और 2018 में छह-छह सीटें जीतकर बीएसपी किंगमेकर रही है. पिछले चुनाव में बीएसपी ने 190 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 6 विधायक जीते थे जबकि अन्य 25 सीटों पर मुख्य मुकाबला था. इन 25 सीटों पर कांग्रेस, बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जिस अंतर से जीत हासिल की, उससे ज्यादा वोट बीएसपी को मिले. इस तरह बसपा भले ही जीत नहीं सकी लेकिन पांच हजार से पचास हजार वोट पाने में सफल रही.

राजस्थान की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर बसपा किसी भी पार्टी का खेल बनाने या बिगाड़ने की ताकत रखती है. बसपा ने 2018 में 4 फीसदी वोटों के साथ छह सीटें जीती थीं. इसी तरह 2013 में बसपा साढ़े तीन फीसदी वोटों के साथ तीन विधायक जीतने में सफल रही थी, जबकि 2008 में बसपा साढ़े सात फीसदी से ज्यादा वोटों के साथ जीती थी और उसके छह विधायक जीते थे. पिछले बीस वर्षों में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की प्रवृत्ति के बाद कांग्रेस 2008 और 2018 में दो बार सत्ता में आई, लेकिन दोनों बार यह बसपा के समर्थन से संभव हुआ।

बसपा ने कांग्रेस का दो बार किया समर्थन

कांग्रेस ने बीएसपी के समर्थन से दो बार सरकार बनाई, लेकिन दोनों बार सीएम गहलोत ने बीएसपी विधायकों का कांग्रेस में विलय करा लिया. इसीलिए मायावती ने कहा है कि इस बार चुनाव के बाद अगर उनके समर्थन से सरकार बनी तो वह भी सरकार में शामिल होंगी. इसी योजना के तहत बसपा राजस्थान के चुनावी रण में उतरी है.

मायावती के भतीजे और बीएसपी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद राजस्थान में चुनाव की कमान संभाल रहे हैं और तीन महीने से डेरा डाले हुए हैं. पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए उन्होंने तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा भी की. आकाश आनंद के नेतृत्व में धौलपुर के संधू पैलेस से ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय संकल्प यात्रा’ निकालकर बसपा के जनाधार को जोड़ने का प्रयास किया गया है. राजस्थान में वह दलित वोटों को एकजुट करने और उनका भरोसा जीतने के लिए मैदान में उतरे थे.

बसपा कई सीटों पर है मजबूत

राजस्थान में बसपा का राजनीतिक आधार पूर्वी राजस्थान और शेखावाटी के इलाकों में है। पिछले चुनाव में बसपा के उम्मीदवार चुनाव जीते थे और जातीय समीकरण बसपा के पक्ष में था. बसपा इन इलाकों में 6-6 सीटें जीतने में कामयाब रही है. राजस्थान में 17 फीसदी दलित मतदाता हैं. बसपा दलित और गुर्जर वोटों के सहारे राज्य में अपनी राजनीतिक जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है.दलित-गुर्जर-मुस्लिम समीकरण के सहारे राजस्थान में किंगमेकर बनने वाली बसपा ने इस चुनाव में भी यही फॉर्मूला आजमाया है. अब देखने वाली बात ये है कि क्या मायावती के सियासी मैदान में उतरने से राजस्थान का सियासी माहौल बदलता है या नहीं.

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