Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • Delhi Chief Secretary Appointment: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा एलजी-सीएम मिलकर क्यों नहीं तय करते मुख्य सचिव

Delhi Chief Secretary Appointment: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा एलजी-सीएम मिलकर क्यों नहीं तय करते मुख्य सचिव

नई दिल्लीः मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार आमने-सामने है। इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। अब मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि दिल्ली के उपराज्यपाल और सीएम आपस में मिल जुलकर मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए नामों […]

SC: मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर एससी ने कही बड़ी बात, एलजी और सीएम मिलकर क्यों....
inkhbar News
  • Last Updated: November 24, 2023 19:19:40 IST

नई दिल्लीः मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार आमने-सामने है। इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। अब मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि दिल्ली के उपराज्यपाल और सीएम आपस में मिल जुलकर मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए नामों पर चर्चा क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक तरीका होना चाहिए, जिसके तहत सरकार काम करती है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमेशा से मुख्य सचिव की नियुक्ति केंद्रीय गृह मंत्रालय करता आया है.

वर्तमान सचिव का कार्यकाल 30 नवंबर को खत्म हो रहा

उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मुख्य सचिव की नियुक्ति के मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा, जो बहुत दुखद है। मामले में पीठ अब 28 नवंबर को सुनवाई करेगी। बता दें दे कि उच्चतम न्यायालय केंद्र सरकार द्वारा बिना किसी राय-विचार के नए मुख्य सचिव की नियुक्ति बनाने के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। दिल्ली सरकार ने सवाल उठाया है कि केंद्र सरकार बिना किसी परामर्श के मुख्य सचिव की नियुक्ति कैसे कर सकती है।

केंद्र व दिल्ली सरकार मे रार

अगस्त माह में अधिसूचित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाही पर नियंत्रण देता है। बता दें कि अधिकारियों के स्थानंतरण और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाया गया था। इसके खिलाफ दिल्ली सरकार ने याचिका दायर की थी। साथ ही आरोप लगाया था कि 2023 संसोधन अधिनियम संविधान पीठ के फैसले का उल्लंघन है।