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MP Election 2023: 3 दिसंबर को गम में डूबेगा भोपाल, क्या है वजह?

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Election 2023) के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। इस दिन जहां जगह-जगह चुनाव जीतने पर प्रत्याशी जश्न मनाएंगे, वहीं भोपाल खुशी के बावजूद भी गम में डूबा रहेगा। दरअसल 3 दिसंबर को भोपाल में हुए गैस त्रासदी की बरसी पर पूरा शहर शोक में डूब जाता है। इसी कारण […]

MP Election 2023: 3 दिसंबर को गम में डूबेगा भोपाल, क्या है वजह?
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  • Last Updated: December 2, 2023 17:22:52 IST

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Election 2023) के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। इस दिन जहां जगह-जगह चुनाव जीतने पर प्रत्याशी जश्न मनाएंगे, वहीं भोपाल खुशी के बावजूद भी गम में डूबा रहेगा। दरअसल 3 दिसंबर को भोपाल में हुए गैस त्रासदी की बरसी पर पूरा शहर शोक में डूब जाता है। इसी कारण 3 दिसंबर को भोपाल में एक तरफ नेता चुनाव जीतने की खुशी मनाएंगे, तो वहीं दूसरी तरफ गैस कांड में अपने परिवार जनों को खोने वाले शोक जताएंगे।

भोपाल में हैं 7 विधानसभा सीटें

मध्य प्रदेश के भोपाल जिले में 7 विधानसभा सीटे हैं। इनमें हुजूर, नरेला, भोपाल उत्तर, बैरसिया, भोपाल दक्षिण, गोविंदपुरा और भोपाल दक्षिण-पश्चिम शामिल हैं। इन सातों विधानसभाओं के चुनावी नतीजे कल आने वाले हैं। अब गैस त्रासदी की बरसी और गम के माहौल के बीच यहां चुनाव जीतने का जश्न भी मनता दिखेगा।

प्रत्याशियों ने की तारीख बदलने की मांग

4 प्रत्याशियों ने भोपाल में मतगणना की तारीख बदलने के लिए निर्वाचन आयोग से मांग की थी। चुनाव आयोग से की गई शिकायत में तारीख बदलने के लिए भोपाल गैस त्रासदी की बरसी का हवाला दिया गया था। हालांकि चुनाव आयोग द्वारा इनके मांगों को सुनवाई नहीं हो सकी। इसलिए अब 3 दिसंबर को ही भोपाल में चुनाव के नतीजे आएंगे।

चुनाव आयोग से चुनावी नतीजे (MP Election 2023) की तारीख बदलने की मांग करने वाले प्रत्याशी हैं- भोपाल उत्तर से निर्दलीय प्रत्याशी अताउल्ला इकबाल, नरेला से आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी शमा तनवीर, आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रकाश नरवारे और भोपाल मध्य से समर्थित आजाद समाज पार्टी प्रत्याशी शमसुल हसन।

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कब हुई थी भोपाल गैस त्रासदी?

साल 1984 में 3 दिसंबर को ही भोपाल में यह त्रासदी हुई थी। इसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। दरअसल, 1984 के दिसंबर महीने की 2 और 3 तारीख की रात को यूनियन कार्बाइड के कारखाने से लगभग 40 टन ‘मेथायिल अयिसोसायिनेट’ गैस का रिसाव होने लगा। इसकी चपेट में आने वाले सभी लोग ताश के पत्तों की तरह जमीन पर गिरने लगे। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो इस हादसे में मरने वालों की संख्या करीब 5 हजार 295 थी।