नई दिल्लीः पौष, जिसे पौस या पुष्य भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर(Paush Month 2023) का दसवां महीना है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के दिसंबर/जनवरी के अनुरूप है। इसकी शुरुआत मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अगले दिन से होती है पौष माह में कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं, लेकिन ईश्वर की उपासना विशेष तौर पर सूर्य और पितरों की उपासना के लिए सबसे उत्तम महीना माना जाता है।
पौष माह का महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य को प्रधान देवता(Paush Month 2023) माना गया है। पौष माह की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है इसलिए इसका नाम पौष रखा गया। ग्रंथों के मुताबिक, पौष मास में सूर्य की आराधना करनी चाहिए। ग्रंथों में कहा गया है कि पौष मास में भगवान भास्कर 11 हजार किरणों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। ऐसी मान्यता है कि पौष महीने में सूर्य पूजा से सेहत अच्छी रहती है और उम्र भी बढ़ती है।
पौष माह में क्या करना चाहिए-
- पुराण के मुताबिक, पौष माह में रोजाना तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल रंग के फूल और लाल चंदन डालकर ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। मान्यता है इससे व्यक्ति तेजस्वी बनता है और गंभीर बीमारियां दूर रहती है।
- बता दें कि पौष माह के हर रविवार को व्रत रखकर तिल, चावल की खिचड़ी का गुड़ सूर्यनारायण को अर्पित करने से व्यक्ति को ऊर्जा और बेहतर स्वास्थ मिलता है।
- पौष महीने में पूर्णिमा,अमावस्या, एकादशी, संक्रांति पर विशेषकर पितरों की पूजा करें, श्राद्ध करें। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है और कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है साथ ही तमाम बाधाओं का नाश भी होता है।
- इस महीने में पीले और लाल रंग के वस्त्र भाग्य में वृद्धि करते हैं।
पौष माह में क्या नहीं करना चाहिए-
- पौष के महीने में मेवा, तला भोजन आदि का सेवन करने से बचें। इनकी अलावा लौंग, गुड़, अजवाइन खाना सेहत के लिए अच्छा रहेगा।
- ठंड की वजह से इस दौरान स्वास्थ में सावधानी बरतनी चाहिए।
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