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Ram mandir: मंदिर का क्रेडिट मोदी-योगी को क्यों पर बोले मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास, अदालतें तो इतने वर्ष…

नई दिल्लीः अयोध्या के नवनिर्मित भव्य मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तय हो चुका है। उससे पहले राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने खुलकर अपनी बात रखी हैं। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी पुरानी यादों को साझा किया है। उन्होंने कहा कि इस घड़ी की वर्षों से […]

Ram mandir: मंदिर का क्रेडिट मोदी-योगी को क्यों पर बोले मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास, अदालतें तो इतने वर्ष...
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  • Last Updated: December 29, 2023 15:51:50 IST

नई दिल्लीः अयोध्या के नवनिर्मित भव्य मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तय हो चुका है। उससे पहले राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने खुलकर अपनी बात रखी हैं। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी पुरानी यादों को साझा किया है। उन्होंने कहा कि इस घड़ी की वर्षों से प्रतिक्षा थी। प्राण प्रतिष्ठा का दृश्य अपने आप में अदभुत होगा। जिस दिन रामलला अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजेंगे। वह एक युग के समान होगा। उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है, परेशानियां समाप्त हो गई हैं। अब राम युग आ गया है।

राम मंदिर का श्रेय किसे

राम मंदिर का श्रेय किसको जाता है के सवाल पर सतेंद्र दास ने कहा कि अदालतें आज से नहीं हैं, आजादी के पहले से हैं। इतने साल से राम मंदिर को लेकर फैसला नहीं आया। कांग्रेस की सरकार आई तब कुछ नहीं हुआ। भाजपा की सरकार आई तो सुनवाई टालने की कोशिश हुई। मैं कहना चाहूंगा की जिनको राम में आस्था है, जिन पर भगवान की कृपा है वो सत्ता में हैं और जो राम के विरोधी थे वो सत्ता से बाहर है। उन्होंने कहा कि जब से भाजपा की सरकार आई, खासकर पीएम मोदी और योगी की नजर अयोध्या पर बनी हुई हैं। उनकी वजह से आज अयोध्या में तेजी से विकास हो रहा है।

रामलला की कृपा से वे 28 वर्ष भी बित गए

आचार्य सत्येंद्र दास ने पुराने समय को याद करते हुए कहा कि जब वर्षों तक रामलला को तिरपाल के नीचे रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि आज से पहले वह समय बहुत दर्दनाक था। ये मान कर चलिए की भगवान रामलला की कृपा से 28 वर्ष बीत गए और पता भी नहीं चला। उन्होंने कहा कि जब भगवान राम वनवास के लिए जाने लगे थे तो माता सीता ने हठ किया था की मैं भी साथ चलूंगी। तब भगवान ने तमाम तर्क रखे थे कि क्यों उनका जाना ठीक नहीं है। तब सीता माता ने कहा था कि जैसे बिना जल के गंगा और सरयू का मतलब नहीं रह जाता, वैसे ही साथ में पति नहीं तो नारी भी निर्जीव है।