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Enforcement Directorate: जानिए क्या है ईडी और इसकी ताकत?

नई दिल्ली। शराब घोटाला मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गुरुवार रात प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। बता दें कि ईडी की टीम गुरुवार देर शाम केजरीवाल के आवास पहुंची, जहां कुछ देर पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वैसे तो आपने कई बार इस जांच एजेंसी का नाम […]

Enforcement Directorate
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  • Last Updated: March 22, 2024 17:00:37 IST

नई दिल्ली। शराब घोटाला मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गुरुवार रात प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। बता दें कि ईडी की टीम गुरुवार देर शाम केजरीवाल के आवास पहुंची, जहां कुछ देर पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वैसे तो आपने कई बार इस जांच एजेंसी का नाम सुना ही होगा। ईडी या प्रवर्तन निदेशालय वैधानिक निकाय नहीं है, ये वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली एक सरकारी एजेंसी है।आइए जानते हैं कि ईडी क्या है, ये कब बना और इसकी ताकत के बारे में।

कब बना ED या एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट?

जब भारत देश, अंग्रेजों से आजाद हुआ तब 1947 में फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट (विदेशी मुद्रा नियमन कानून) बना था। जिसे देखने का काम वित्त मंत्रालय का डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स करता था। जिसके बाद साल 1956 में प्रवर्तन इकाई बनी। इसी में इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट भी बना। वहीं साल 1957 में इसका नाम बदलकर डायरेक्टोरेट ऑफ एनफोर्समेंट या एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानि कि प्रवर्तन निदेशालय या आर्थिक प्रवर्तन महानिदेशालय रख दिया गया। इसे ही आज ईडी कहा जाता है। साल 1960 में ED को रेवेन्यू डिपार्टमेंट में शिफ्ट कर दिया गया और तब से ये उसी में काम रहा है।

जानिए कैसे काम करती है ईडी?

दरअसल, ईडी या एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट को आर्थिक अपराध और विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन की जांच करने के लिए बनाया गया है। ये फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (Fema) के तहत कार्रवाई करती है। ईडी आपराधिक श्रेणी वाले फाइनेंशियल फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों को भी देखती है। ईडी धन-शोधन निवारण अधिनियम यानि कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत कार्रवाई करती है।

ईडी के तहत है फ्यूजिटिव ऑफेंडर एक्ट

जब धन-शोधन निवारण अधिनियम बना तो सरकार ने ये तय किया कि इसे एनफोर्स ईडी करेगी। बता दें कि ईडी में काफी लोग बाहर से भी तैनात किए जाते हैं। इसमें काफी लोग डेप्यूटेशन पर भी आते हैं। वहीं जब साल 2018 में सरकार ने देखा कि आर्थिक अपराधी काफी संख्या में देश से बाहर भाग रहे हैं तो भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम यानी की फ्यूजिटिव ऑफेंडर एक्ट, 2018 लाया गया, जिसे ईडी के तहत रखा गया।

ईडी इस कानून के तहत करती है काम

ईडी, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 (FEMA. धन सोधन निवारण अधिनियम 2002 (PMLA), भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 (FEOA) के तहत फॉरेन एक्सचेंज नियमों के उल्लंघन की जांच करती है। PMLA को मनी लॉन्डरिंग को रोकने या इस मामले में शामिल अवैध संपत्ति को जब्त करने के लिए बनाया गया है। बता दें कि भारत से आर्थिक अपराधियों को भागने से रोकने के लिए FEOA बनाया गया है।

इन प्रकार के मामलों की जांच कर सकती है ईडी

इसके अलावा बता दें कि किसी थाने में एक करोड़ रुपये या उससे अधिक की हेराफेरी का मामला दर्ज होने पर पुलिस द्वारा ईडी को इसकी जानकारी दी जाती है। जिसके बाद ईडी थाने से एफआईआर या चार्जशीट की कॉपी लेकर मामले की जांच शुरू कर सकती है। ईडी को अगर स्थानीय पुलिस से पहले मामले की जानकारी लग जाती है, तब भी वह जांच शुरू कर सकती है।

ईडी करती है बड़े आर्थिक अपराधों की जांच

इसके साथ ही ईडी फेमा उल्लंघन, हवाला लेनदेन, फॉरेन एक्सचेंज वायलेशन, विदेश में मौजूद संपत्ति पर कार्रवाई और विदेश में संपत्ति की खरीद के मामलों की जांच करती है। ईडी के पास मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों के खिलाफ संपत्ति-धन की जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार है। साथ ही वो गैरकानूनी वित्तीय कामों पर कार्रवाई कर सकती है। इसके अलावा पीएमएलए के तहत ईडी को संपत्ति जब्त करने, छापा मारने और गिरफ्तारी करने का अधिकार है। ईडी पूछताछ के बिना भी संपत्ति जब्त करने की ताकत रखती है।