Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • अर्ध सत्य: ऐसे में 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कैसी होगी ?

अर्ध सत्य: ऐसे में 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कैसी होगी ?

देश का किसान सड़क पर है. सरकार उपवास पर बैठी है. विपक्ष सियासत की रोटियां सेक रहा है. जिस देश में आधे से अधिक लोगों को दो शाम की रोटी नसीब नहीं, वहां हजारों-हजार लीटर दूध सड़कों पर बहाया जा रहा है. अनाज से लदे ट्रकों में आग लगाई जा रही हैं. सब्जियों को नालों-गड्ढों में फेका जा रहा है.

Ardhsatya, Protest, farmer strike, farmer strike in maharashtra, Vegetable price hike, Debt relief, BJP, Maharashtra, madhya pradesh, India News, india news show
inkhbar News
  • Last Updated: June 11, 2017 13:43:59 IST
नई दिल्ली: देश का किसान सड़क पर है. सरकार उपवास पर बैठी है. विपक्ष सियासत की रोटियां सेक रहा है. जिस देश में आधे से अधिक लोगों को दो शाम की रोटी नसीब नहीं, वहां हजारों-हजार लीटर दूध सड़कों पर बहाया जा रहा है. अनाज से लदे ट्रकों में आग लगाई जा रही हैं. सब्जियों को नालों-गड्ढों में फेका जा रहा है.
 
 
मंडियों में आग लगाई जा रही हैं. पुलिस ताबड़तोड़ लाठियां, गोलियां और आंसू गैस के गोले बरसा रही है. लेकिन आग धधकती जा रही है, भीड़ बढ़ती जा रही है. सवाल ये है कि ये नौबत क्यों आ गई. क्या दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी वाले इस देश में किसानों की समस्या को सुनने-देखने वाला कोई नहीं. सरकार को किसानों की समस्या मानने में क्या तकलीफ है. 
 
मार्च के महीने से महाराष्ट्र के अहमदनगर से शुरू हुआ आंदोलन अब देशव्यापी होता जा रहा है. आंदोलन की आग महाराष्ट्र से आगे निकलकर मध्य प्रदेश आई, यूपी राजस्थान के किसान भी अपनी फसल की वाजिब कीमत के लिये चेतावनी देने लगे हैं.
 
 
पंजाब के किसानों ने भी कमर कसनी शुरु कर दी है- कुल मिलाकर देश के कई राज्यों में किसानों के सड़कों पर उतरने के पूरे आसार बने हुए हैं. संभव है किसानों के दिन बदलने का दावा करने वाली मोदी सरकार के दौरान किसानों का मामला ही बड़ा सिरदर्द ना बन जाए. 
 
हिंदुस्तान में हर आधे घंटे पर एक किसान खुदकुशी करता है औऱ हर रोज करीब ढाई हजार किसान खेती छोड़ते हैं. यह हाल तब भी है जब तीन साल पहले चुनाव के वक्त नरेंद्र मोदी देश में किसानों की हालत के लिये पिछली सरकारों को पगड़ी उछाल रहे थे. 
 
 
सच्चाई ये है कि सत्ता में आने के बाद मौजूदा सरकार ने फरवरी 2015 में अदालत में एक हलफनामा देकर ये कहा था कि 50 फीसदी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढाना संभव ही नहीं है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह किसानों को ये बताने के लिये कि वे उन्हीं के हैं और उनसे बेहतर किसानों का भला कोई नहीं चाहेगा. लेकिन जब वे अनशन पर भोपाल मे बैठे थे तो मध्य प्रदेश में बीजेपी के दूसरे दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय इंदौर में अपना कैंप लगाकर किसानों को मरहम लगा रहे थे.
 
कानून को ठेंगा दिखाकर इसी देश में विजय माल्या जैसा कारोबारी बैंकों का 9 हजार करोड़ लेकर भाग गया. वो सरेआम पार्टी करता है, स्टेडियम में खुलेआम मैच देखता है. सरकार का पूरा सिस्टम तमाशा देख रहा होता है लेकिन उसी देश में एक किसान 12-13 लाख रुपय लोन लेकर उसे नहीं चुका पा रहा होता तो वाजिब रास्ते निकाले जा सकते हैं.
 
 
बैंक वाले जब उसके घर पर घर-दुआर नीलाम करने पहुंच जाते हैं तो वो आत्महत्या करेगा ही. कर्ज देने और माफ करने की नीति देश की माली हालत के लिये खतरनाक है लेकिन बैंक अगर ऐसे करेंगे तो फिर एकदिन किसान उठ खड़ा होगा और आज स्थिति आप देख ही रहे हैं. 
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

Tags