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Bhojpuri Cinema : कभी पाई-पाई के मोहताज थे Ravi Kishan, घर-घर अखबार बेचने के लिए हुए मजबूर, जानें फर्श से अर्स तक का कारवां 

नई दिल्ली : New Delhi  भोजपुरी फिल्मों के महानायक और सांसद रवि किशन Ravi Kishan अपना 50 साल पूरा करने जा रहे हैं. लेकिन ये बात बहुत ही कम लोगों को पता होगी कि, अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों के दिलों पर एक तरफा राज करने वाले रवि किशन Ravi Kishan को अपनी पहचान बनाने […]

सांसद रवि किशन (फाइल फोटो )
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  • Last Updated: January 27, 2022 15:22:43 IST

नई दिल्ली : New Delhi 

भोजपुरी फिल्मों के महानायक और सांसद रवि किशन Ravi Kishan अपना 50 साल पूरा करने जा रहे हैं. लेकिन ये बात बहुत ही कम लोगों को पता होगी कि, अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों के दिलों पर एक तरफा राज करने वाले रवि किशन Ravi Kishan को अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी चुनौतियों औऱ मुशीबतों का सामना करना पड़ा था. उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है, तब कहीं जाकर आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं. बहुत कम लोगों को ही यह पता होगी कि उनका नाम असली नाम रविंद्र नाथ शुक्ला था.

बस यूं ही चढ़ गया एक्टिंग का कीड़ा

रवि किशन Ravi Kishan को एक्टिंग का शौक कब हुआ,  यह बात खुद उन्हें याद ही नहीं है़, अब आप सोच सकते हैं कि कितनी कम उम्र से उन्हें एक्टिंग का कीड़ा सवार था. रेडियो पर गाने की आवाज रवि को कहीं भी थिरकने के लिये मजबूर कर देती थी. शादी-विवाह कहीं पर हो, यदि बैंड बाजे की आवाज रवि के कानों में पड़ गई तो वो थिरके बिना खुद को कंट्रोल नहीं कर पाते थे.

मां सीता के रोल से एक्टिंग की शुरुआत

रवि किशन Ravi Kishan ने नवरात्र में पहली बार मां सीता का रोल किया था. जब गांव की रामलीला में उन्होंने माता सीता की भूमिका निभाई तो उनके पिता पंडित श्यामनारायण शुक्ला को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया.  कि उनके बेटे को कोई नचनियां-गवैया कहे, इसके लिये उन्होने रवि को मारा पीटा भी. लेकिन रवि किशन की उम्मीदों पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ा. उसके बाद रवि किशन Ravi Kishan की मां ने उन्हें कुछ पैसे दिए और वो अपने सपनों को साकार करने के लिए रवि मुंबई रवाना हो गए.

घर-घर अखबार बांटने को हुए मजबूर

मां मुम्बा देवी की नगरी मुंबई काफी इम्तिहान लेती है़. लेकिन कांटो में राह वही बनाते हैं जो सूरमा होते हैं. अब गांव का रविंद्र Ravi Kishan यहां आकर सुबह-सुबह पेपर बांटना शुरू कर दिया. शायद तब रवि ने यह नहीं सोचा होगा कि आज जिन अखबारों को सुबह-सुबह वे घर-घर पहुंचाते हैं. कभी उन्हीं अखबारों में उनके बड़े-बड़े फोटो छपेंगे. इतना ही नहीं पेपर बेचने के अलावा भी उन्होने वीडियो कैसेट्स भी किराए पर देने का काम किया. इन तमाम परिस्थितियों के बीच बांद्रा में उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. पुरानी मोटरसाइकल से वे अपना फोटो लेकर ऑफिस दर ऑफिस भटकते रहे और एक दिन रविन्द्र नाथ शुक्ला से सांसद रवि किशन Ravi Kishan बन गए। 

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