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Chaiti Chhath Mahaparv 2025: नहाय-खाय के साथ चैती छठ शुरू, घाटों पर व्रतियों की लगी भीड़

बिहार में लोक आस्था का महापर्व चैती छठ नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया है। छठ व्रतियों ने सुबह-सुबह पटना के गंगा घाट पर स्नान करके सूर्य की पूजा की। इसके बाद कद्दू-भात का प्रसाद ग्रहण किया।

Chaiti Chhath Mahaparv 2025
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  • Last Updated: April 1, 2025 10:14:06 IST

Chaiti Chhath Mahaparv 2025: बिहार में लोक आस्था का महापर्व चैती छठ नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया है। छठ व्रतियों ने सुबह-सुबह पटना के गंगा घाट पर स्नान करके सूर्य की पूजा की। इसके बाद कद्दू-भात का प्रसाद ग्रहण किया। आज भरणी नक्षत्र और रवि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। सीएम नीतीश कुमार ने राज्यवासियों को चैती छठ की शुभकामनाएं दी है। बता दें कि चैती छठ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तक चलता है। छठ व्रती श्रद्धा और उत्साह के साथ सूर्य देव और छठी मैया की उपासना करते हैं।

Chaiti Chhath Puja 2025 Date

1 अप्रैल से चैती छठ महापर्व की शुरुआत है। 2 अप्रैल को खरना है। 3 अप्रैल को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर 4 दिन तक चलने वाले महापर्व का समापन हो जाएगा।

नहाय खाय क्या होता है?

1 अप्रैल, मंगलवार को पूजा का पहला दिन नहाय खाय है। इस दिन व्रती नदी या तालाब में जाकर स्नान करेंगी। फिर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन ख़ास रूप से कद्दू की सब्जी, चने की दाल, चावल बनाया जाता है। इस भोजन का स्वाद ही अलग रहता है।

खरना क्या है?

2 अप्रैल, बुधवार को छठ पूजा का दूसरा दिन खरना है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम में सूर्य देव की पूजा होती है। इसमें गुड़ से बनी खीर, रोटी और केले का प्रसाद चढ़ाया जाता है। खरना के प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है। खरना से ही 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

संध्या अर्ध्य

3 अप्रैल, गुरुवार को चैती छठ पूजा का तीसरा दिन है। इस दिन व्रती पहला अर्ध्य सूर्य को अर्पित करेंगी। शाम में किसी नदी या तालाब में सूर्य देव की पूजा करके फल- फूल और ठेकुआ जैसे प्रसाद चढ़ाया जाएगा।

उगते सूर्य का अर्ध्य

4 अप्रैल, शुक्रवार को चैती छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन है। इस दिन सुबह-सुबह व्रती भगवान भास्कर को अर्ध्य देंगी। अर्ध्य देने के बाद छठ के प्रसाद को सबमें बांटा जाएगा। फिर व्रती अपना निर्जला उपवास तोड़ेंगी।

 

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