नई दिल्ली: इस साल (2025) बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर भी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए तैयार हैं। इस दौरान एक सवाल अक्सर उठता है कि आखिर प्रशांत किशोर की पार्टी को फंडिंग कहां से मिल रही है? इस मुद्दे पर गुरुवार (06 फरवरी) को जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चौंकाने वाला दावा किया।

जेडीयू ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के वित्तीय स्रोतों पर सवाल उठाया है। नीरज कुमार का कहना है कि जन सुराज पार्टी को जॉय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन से फंडिंग मिल रही है, जो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। उनका आरोप है कि चैरिटी के नाम पर राजनीतिक गतिविधियां चलाना टैक्स नियमों की अनदेखी कर सकता है और इससे वित्तीय अनियमितताएं पैदा हो सकती हैं।

50 लाख डोनेशन क्यों किया?

नीरज कुमार ने यह भी पूछा कि प्रशांत किशोर को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी और इस फाउंडेशन के बीच क्या संबंध है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि प्रशांत किशोर ने खुद 50 लाख रुपये का दान क्यों किया? जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान यह मुद्दा उठाया और कहा कि जनता के लिए यह जानना जरूरी है कि जन सुराज पार्टी में करोड़ों रुपये कहां से आ रहे हैं?

पार्टी में वित्तीय गड़बड़ी

नीरज कुमार ने आरोप लगाया कि जन सुराज पार्टी की स्थापना 28 अगस्त 2023 को हुई थी, जबकि इसका औपचारिक ऐलान गांधी जयंती (2 अक्टूबर 2024) को हुआ था। इस दौरान प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि पार्टी के पास वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं है, लेकिन पार्टी के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रामबली सिंह ने कहा कि पार्टी का बैंक खाता तक नहीं है। यह विरोधाभास यह संकेत करता है कि पार्टी में वित्तीय गड़बड़ी हो सकती है।

कंपनी द्वारा संचालित पार्टी

नीरज कुमार ने यह भी कहा कि यह पहली राजनीतिक पार्टी है जिसे एक कंपनी द्वारा चलाया जा रहा है। जन सुराज पार्टी को जॉय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन से फंडिंग मिल रही है, जो एक रजिस्टर्ड कंपनी है। फाउंडेशन ने 2023-24 के दौरान ₹48.75 करोड़ डोनेशन प्राप्त किया, जो विभिन्न कंपनियों से आया, लेकिन इन कंपनियों की पूंजी से कहीं अधिक राशि डोनेट की गई। यह गंभीर सवाल उठाता है कि क्या यह डोनेशन सही तरीके से किया गया था या इसमें कोई गड़बड़ी हो सकती है? साथ ही यह सवाल भी उठता है कि क्या प्रशांत किशोर और जॉय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन के बीच कोई वित्तीय और राजनीतिक गठबंधन है?

Read Also: डूबकर मर जाए साधु-संत…पप्पू ने तो हद पार कर दी! लोकसभा में पूर्णिया सांसद ने कटवाई पूरे बिहार की नाक