Bihar Chunav: चुनावी साल में बिहार में राजनीतिक हलचल काफी तेज है. वैसे तो साल के अंत में होने वाले चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बार-बार बिहार आना लोगों के बीच कौतूहल का विषय बना हुआ है. लगभग तीन दशक से बिहार में आरजेडी संग गठबंधन में शामिल कांग्रेस की रणनीति 2025 विधानसभा में बदली-बदली लग रही है.
यह बदलाव की शुरुआत कांग्रेस ने अपना बिहार प्रभारी को बदलने के साथ की. कृष्णा अल्लावारु ने प्रभारी बनते ही सबसे पहले अखिलेश सिंह के जगह पर राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इन सबसे इतर कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को दिल्ली से बिहार भेजकर ‘पलायन रोको नौकरी दो’ पदयात्रा की शुरुआत करवाई. इस पदयात्रा का कितना असर चुनावों पर पड़ता है ये तो समय बताएगा. लेकिन राहुल गांधी का बार-बार बिहार आने के पीछे की रणनीति को समझने का प्रयास करते हैं.
बेगूसराय में कन्हैया के साथ यात्रा में शामिल
राहुल गांधी 7 अप्रैल को कन्हैया कुमार के गृह जिला बेगूसराय में ‘पलायन रोको नौकरी दो’ यात्रा में शामिल हुए. चैत्र की चिलचिलाती धूप में करीब एक किलोमीटर तक उन्होंने पद यात्रा की. इस यात्रा पर बात करते हुए कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बताया कि राहुल गांधी का कार्यकर्ताओं के साथ ऐसे चलना प्रदेश संगठन में नया जान फूकेगा. बेगूसराय और इसके आस-पासपास के जिलों में भी इसका प्रभाव कार्यकर्ताओं के उत्साह से देखा जा सकता है.
क्या है कांग्रेस की रणनीति
आजादी के बाद बिहार के 23 मुख्यमंत्रियों में से 18 मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी से हुए हैं. 1990 के बाद बिहार में कांग्रेस पूरी तरह से कमजोर हो गई और आरजेडी की पिछलग्गू बनकर रह गयी है. कांग्रेस की कोशिश है कि अपना पुराने वोटबैंक को वापस लाया जाए. जिससे बिहार में आरजेडी के भरोसे न रहना पड़े. वहीं कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस चुनावी साल को देखते हुए गठबंधन में ज्यादा से ज्यादा सीटों को पाने के लिए ऐसा कर रही है.
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