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नरपिशाच तहव्वुर राणा को नहीं हो सकती फांसी, यहां फंसा है पेंच!

मुंबई हमले का मास्टर माइंड तहव्वुर राणा भारत आ गया, जांच एजेंसियां उससे पूछताछ में जुटी हैं. 166 लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार इस नरपिशाच को तत्काल फांसी देने की मांग हो रही है लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि उसे फांसी नहीं दी जा सकती. ऐसा क्यों और उसे कौन सी सजा दी जा सकती है जाने विस्तार से.

Tahawwur Rana
inkhbar News
  • Last Updated: April 10, 2025 17:48:59 IST

26/11 Mumbai Attack Accused Tahawwur Rana: मुंबई हमले का मास्टर माइंड तहव्वुर राणा भारत आ गया, जांच एजेंसियां उससे पूछताछ में जुटी हैं. 166 लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार इस नरपिशाच को तत्काल फांसी देने की मांग हो रही है. कोई कह रहा है कि इसे सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए, कोई मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की मांग कर रहा है.

लोग बोले राणा को फांसी दो 

कसाब की तरह बिरियानी न खिलाने और फांसी के फंदे पर तत्काल झुलाने के लिए भारी दबाव है लेकिन राणा को फांसी के फंदे तक पहुंचाना आसान नहीं है. कसाब और राणा के मामले में सबसे बड़ा अंतर यह है कि कसाब गोलियां चला रहा था और मौके पर पकड़ा गया था जबकि तहव्वुर राणा मुंबई हमले की साजिश रचकर पांच दिन पहले ही भारत से निकल गया था और उसे अमेरिका से प्रत्यर्पण करके लाया गया है लिहाजा दोनों देशों में 1997 में हुई प्रत्यर्पण संधि के प्रावधान लागू होंगे.

तहव्वुर राणा को नहीं दी जा सकती फांसी

US India extradition Treaty

US India extradition Treaty, section 8

इस समझौते के अनुच्छेद-आठ की धारा-1 में कहा गया है कि जिस मामले में प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है, अगर उसमें प्रत्यर्पण मांगने वाले देश में मौत की सजा का प्रावधान है और जो देश उसे प्रत्यर्पित कर रहा है उसमें मौत की सजा का प्रावधान नहीं है तो प्रत्यर्पण की अर्जी खारिज हो सकती है. इसी धारा के पैराग्राफ-1(बी) में इसके लिए उपाय बताया गया है और कहा गया हे कि प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को लिखित में आश्वासन देना होगा कि आरोपी को फांसी की सजा सुनाए जाने की दशा में उस पर अमल नहीं किया जाएगा.

 

भारत को करना होगा प्रत्यर्पण संधि का पालन 

दरअसल भारत को इस मामले में अमेरिका के साथ हुए प्रत्यर्पण संधि का पालन करना होगा. इसके तहत राणा को न तो फांसी की सजा दी जा सकती है, न ही उसके खिलाफ कोई नया मुकदमा या धारा जोड़ी जा सकती है. केवल उस मामले में मुकदमा चलेगा जो भारतीय एजेंसियों ने वहां की कोर्ट में पेश किया होगा. यदि कोर्ट फांसी की सजा सुनाती भी है तो उस पर अमल नहीं होगा. इस तरह राणा को अधिक से अधिक उम्र कैद की सजा हो सकती है.

तहव्वुर राणा की मुंबई हमले में भूमिका

एजेंसियों की छानबीन के मुताबिक मुंबई हमले से ठीक पहले राणा मुंबई आया था. राणा दुबई के रास्ते मुंबई आया और 11 नवंबर से 21 नवंबर 2008 तक पवई के होटल रिनेसां में ठहरा था. इस दौरान उसने हमले से जुड़े सारे ठिकानों का जायजा लिया और उसके जाने के 5 दिन बाद 26 नवंबर को मुंबई में आतंकी हमला हो गया जिसमें 166 लोग मारे गये थे और 10 में से नौ आतंकी भी ढेर कर दिये गये थे. एक आतंकी कसाब को जिंदा पकड़ लिय़ा गया था जिसे बाद में फांसी हुई.

पाक में रची गई मुंबई हमले की साजिश

तहव्वुर राणा के भारत आने से पाकिस्तान की पोल खुलनी तय है. इसके लिए सिर्फ भारतीय एजेंसिंयां ही नहीं बल्कि अमेरिकी एजेंसियां भी बताएंगी कि किस तरह पाकिस्तान में बैठकर मुंबई हमले की साजिश रची गई. FBI और अभियोजन पक्ष ने तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली के खिलाफ मुंबई के 26/11 हमले से संबंधित सबूत वहां की अदालतों में पेश किये हैं. हेडली ने 2010 में गवाही दी है कि लश्कर-ए-तैयबा के लिए उसने मुंबई में ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की रेकी की थी.

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