Jamia Campus: दिल्ली की प्रतिष्ठित जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है. 25 अप्रैल 2025 को कैंपस में हुई हिंसक झड़प के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए 7 छात्रों को निष्कासित कर दिया और 20 अन्य छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया. इस घटना ने न केवल कैंपस के माहौल को तनावपूर्ण बनाया बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गया.

क्या थी हिंसक झड़प की वजह?

25 अप्रैल 2025 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के गेट नंबर 8 के पास दीन दयाल उपाध्याय कौशल केंद्र के सामने शाम 4:40 बजे दो छात्र समूहों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हुई. यह विवाद जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गया. जानकारी के अनुसार यह टकराव मेवात और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छात्रों के बीच हुआ. झड़प इतनी उग्र हो गई कि कई छात्र घायल हो गए. यूनिवर्सिटी प्रशासन के अनुसार इस दौरान छात्रों ने न केवल एक-दूसरे पर हमला किया बल्कि कैंपस की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया और सुरक्षा कर्मियों के साथ अभद्रता की.

जामिया प्रशासन ने बयान जारी करते हुए कहा ‘सुरक्षा कर्मियों ने झगड़ा कर रहे छात्रों को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कर्मचारियों के साथ हाथापाई की और कैंपस की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.’ इस हिंसा को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा जिसके बाद स्थिति पर काबू पाया गया.

यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्रवाई

जामिया प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की. जांच के बाद यूनिवर्सिटी ने 7 छात्रों को निष्कासित कर दिया. इनमें से तीन छात्रों को 3 साल और चार छात्रों को 1 साल के लिए कैंपस से निष्कासित किया गया. इसके अलावा 20 अन्य छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. जिसमें उन्हें अपने व्यवहार का स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है.

प्रशासन ने अपने नोटिस में कहा सुरक्षा कर्मचारी झगड़ा कर रहे छात्रों को प्रॉक्टर के कार्यालय ले आए. जहां प्रॉक्टोरियल विभाग ने तत्काल कार्रवाई शुरू की. यह भी बताया गया कि कुछ छात्रों ने कैंपस के सामान्य माहौल को बाधित किया और अन्य छात्रों की सुरक्षा को खतरे में डाला.

छात्रों का पक्ष और विवाद

इस घटना के बाद कुछ छात्रों ने प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाए. यूनिवर्सिटी की एक छात्रा, सोनाक्षी गुप्ता ने कहा ‘हम पर आरोप लगाए गए कि हमने हिंसा की है लेकिन हिंसा वाली जगह पर हम थे ही नहीं. अगर प्रशासन का कहना है कि हमने हिंसा की, तो हमें CCTV प्रूफ दिखाया जाए.’ वहीं छात्र ज़ीशान अहमद ने दावा किया ‘प्रशासन छात्रों के मुद्दों को उलझा रहा है. जामिया में सैकड़ों CCTV कैमरे लगे हैं उसमें सब देखा जा सकता है.’

छात्रों का कहना है कि प्रशासन ने बिना पूरी जांच के कार्रवाई की और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया. कुछ छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि यह विवाद क्षेत्रीय आधार पर उभरा. जिसे प्रशासन ने गलत तरीके से प्रस्तुत किया.

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