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दिल्ली के सराय काले खां चौक को मिली नई पहचान, अब बिरसा मुंडा के नाम से जाना जाएगा

नई दिल्ली: दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक रखा गया है.  अब ये चौक भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाना जाएगा. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर चौक का नाम बदलने की घोषणा की है. केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के […]

Birsa Munda
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  • Last Updated: November 15, 2024 13:45:16 IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक रखा गया है.  अब ये चौक भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाना जाएगा. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर चौक का नाम बदलने की घोषणा की है.

केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा मैं आज घोषणा करता हूं कि सराय काले खां आईएसबीटी बस अड्डे के बाहर का चौक अब भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जाना जाएगा।.प्रतिमा और उस चौराहे का नाम देखकर न केवल दिल्ली के नागरिक बल्कि अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे पर आने वाले लोग भी खुश हैं. हम सभी उनके जीवन से प्रेरणा जरूर लेंगे.

कौन हैं बिरसा मुंडा?

झारखंड में भगवान की तरह पूजे जाने वाले आबा बिरसा मुंडा की आज 150वीं जयंती है. उनकी जयंती को देश जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मना रहा है. बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को रांची और आज के खूंटी जिले के उलिहातु गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था. बिरसा के पिता का नाम सुगना मुंडा था.उनकी माता का नाम कर्मी मुंडा था.

भगवान बिरसा मुंडा की प्रारंभिक शिक्षा मिशनरी स्कूल में हुई. पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने देखा कि अंग्रेज भारतीयों पर अत्याचार कर रहे थे.उन्होंने इस जुल्म के खिलाफ बिगुल बजा दिया था. साल 1894 में जब छोटानागपुर क्षेत्र में अकाल और महामारी फैली, तब भी बिरसा मुंडा लोगों के कल्याण के लिए लड़ते रहे.

साल 1895 में भगवान बिरसा मुंडा को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और हज़ारीबाग़ जेल भेज दिया था. इसके बाद 1897 से 1900 के बीच अंग्रेजों और मुंडाओं के बीच युद्ध होते रहे.जिस आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था उसमें उन्हें सजा बहुत कम मिलती लिहाजा गोरी हुकूमत ने उन्हे जेल में ही जहर दे दिया जिससे उनकी साल 1900 में उनकी मौत हो गई.

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