West Bengal News: कोलकाता के संवेदनशील नो-फ्लाई जोन में मंगलवार देर रात अज्ञात ड्रोन के मंडराने से सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया. सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय, विजय दुर्ग (पूर्व में फोर्ट विलियम) के साथ-साथ विक्टोरिया मेमोरियल, मैदान और रवींद्र सदन जैसे क्षेत्रों में 8-10 ड्रोन जैसी वस्तुओं को देखा गया. यह क्षेत्र सैन्य दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है जहां ड्रोन उड़ाने की अनुमति सख्ती से प्रतिबंधित है. इस घटना ने जासूसी की आशंका को जन्म दिया है जिसके बाद कोलकाता पुलिस और भारतीय सेना ने तत्काल जांच शुरू कर दी है.

ड्रोन की गतिविधियां

मंगलवार रात करीब 8:30 बजे, भवानीपुर, हेस्टिंग्स, मैदान, रवींद्र सदन और पार्क सर्कस जैसे क्षेत्रों में ड्रोन जैसी वस्तुएं देखी गईं. ये ड्रोन माहेशतला क्षेत्र से उड़ान भरकर विजय दुर्ग और विद्यासागर सेतु की ओर बढ़े. हेस्टिंग्स पुलिस स्टेशन के कर्मियों ने सबसे पहले इन संदिग्ध वस्तुओं को देखा और तुरंत लालबाजार नियंत्रण कक्ष को सूचित किया. इसके बाद ड्रोन पार्क सर्कस की ओर बढ़े और फिर गायब हो गए. प्रारंभिक जांच में माहेशतला को इन ड्रोन के संभावित स्रोत के रूप में देखा जा रहा है लेकिन अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है.

पुलिस और सेना की त्वरित कार्रवाई

ड्रोन की सूचना मिलते ही कोलकाता पुलिस ने सभी नजदीकी थानों को हाई अलर्ट पर रखा. विशेष कार्य बल (STF) और डिटेक्टिव विभाग संयुक्त रूप से इस मामले की जांच कर रहे हैं. भारतीय सेना ने भी अपनी निगरानी बढ़ा दी है. रक्षा मंत्रालय के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विंग कमांडर हिमांशु तिवारी ने कहा कोलकाता में ड्रोन देखे जाने की खबरें मिली हैं और फिलहाल इसकी जांच की जा रही है. इस घटना की सत्यता का पता लगाने के प्रयास जारी हैं. तथ्यों के सामने आने पर आगे की जानकारी साझा की जाएगी. उन्होंने मीडिया से अटकलों से बचने की अपील की. केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

जासूसी की आशंका

विजय दुर्ग जहां पूर्वी कमान मुख्यालय स्थित है. एक रेड जोन है और इसकी सुरक्षा अत्यंत कड़ी होती है. हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद ड्रोन गतिविधियों को लेकर सतर्कता बढ़ गई है. यह घटना सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि ड्रोन संवेदनशील सैन्य क्षेत्रों में देखे गए हैं. एक रक्षा विशेषज्ञ ने कहा. ड्रोन का उपयोग जासूसी, निगरानी या अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए हो सकता है. जिसे लेकर जांच में जासूसी के एंगल को भी प्राथमिकता दी जा रही है.