AJL money laundering: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड मामले में एक बार फिर सख्त कदम उठाया है. इस बार ईडी ने 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किए हैं. ये संपत्तियां कांग्रेस से जुड़ी कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के तहत आती हैं जिन्हें धन शोधन के मामले में पहले ही कुर्क किया जा चुका है. इस कार्रवाई ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है.

ईडी की कार्रवाई

ईडी ने शुक्रवार को दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में स्थित संपत्तियों पर नोटिस चिपका दिए. इनमें दिल्ली का प्रतिष्ठित हेराल्ड हाउस (ITO), मुंबई के बांद्रा क्षेत्र में एक परिसर और लखनऊ के बिशेश्वर नाथ रोड पर एजेएल भवन शामिल हैं. नोटिस में कहा गया है कि इन परिसरों को खाली किया जाए या फिर मुंबई की संपत्ति से मिलने वाला किराया ईडी को हस्तांतरित किया जाए. यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 8 और नियम 5(1) के तहत की गई है. ईडी ने इन संपत्तियों को नवंबर 2023 में कुर्क किया था. जिसकी पुष्टि PMLA के निर्णायक प्राधिकरण ने की. अब कब्जे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए ईडी ने स्पष्ट किया कि यह कदम कानूनी और पारदर्शी है.

यंग इंडियन और कांग्रेस का कनेक्शन

नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करने वाली कंपनी एजेएल (AGL) का स्वामित्व यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है. इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम सामने आता है जो यंग इंडियन में 38-38% शेयरधारक हैं. ईडी का आरोप है कि यंग इंडियन और एजेएल ने संपत्तियों का दुरुपयोग किया.
ईडी के बयान के अनुसार इन संपत्तियों के जरिए ’18 करोड़ रुपये के फर्जी दान, 38 करोड़ रुपये के फर्जी अग्रिम किराए और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापनों’ के रूप में अपराध की आय अर्जित की गई. यह मामला 2014 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से शुरू हुआ. जिसमें धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया गया था.

कांग्रेस ने इस कार्रवाई को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया है. पार्टी का कहना है कि यह सरकार द्वारा विपक्ष को दबाने की कोशिश है. दूसरी ओर ईडी ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है और इसमें कोई राजनीतिक मंशा नहीं है. नेशनल हेराल्ड मामला अब और जटिल होता जा रहा है.

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