नई दिल्ली। इन दिनों वाराणसी के घाटों पर फ़्रांस की महिला सुर्खियों में बनी है। वाराणसी घाटों पर शिव की आराधना आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शिव भक्ति के साथ ही फ्रांसीसी महिला का पहनावा बदल गया है। अब वह भी धार्मिक रंगों में रंग गई है। इस रंग के साथ-साथ वो कैनवास के पन्नों पर शिव और शक्ति के चित्रों के उकरेती हैं। साथ अपने आप को शिव को समर्पित करती है।
जब इस विदेशी महिला से इसका कारण पूछा गया तो उसने सच्चाई बताई। फ्रांसी महिला ने बताया कि धार्मिक कट्टरवाद की वजह से उसने शिव की शरण ली है। भारतीय वेशभूषा धारण किए यह महिला बनारस की नहीं बल्कि फ्रांस की रहने वाली है। इस विदेशी महिला का नाम ‘लिया’ है। इन दिनों लिया बनारस की गलियों में घूम-घूमकर बनारस की संस्कृति को अपना रही हैं। हाथों में रुद्राक्ष धारण किए घाटों पर शिव की अराधना कर रही हैं। ओम नमः शिवाय के जप के साथ हर दिन घाटों पर शिव के चित्रों को उकेर कर उसमें रंग भरती हैं। ‘लिया’ लगभग एक महीने से वाराणसी में मौजूद हैं। लिया ने फ्रांस में कट्टर विचारधारा से परेशान होकर अध्यात्म का रास्ता अपनाया हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम कट्टरवाद फ्रांस में ज्यादा बढ़ गया है।
आए दिन होती लड़ाई से परेशान होकर वह काशी आई हैं। शांति की तलाश में उन्होंने शिव की शरण ली है। यहां पर उन्हें आत्मबोध हुआ है। अब वह वाराणसी के पांडेय घाट पर शिव भक्ति कर रही हैं। ‘लिया’ का कहना है कि भारत जिस तरह कट्टरवाद से लड़ रहा है, ठीक वैसी ही स्थिति फ्रांस में भी बनी हुई है। भारत एक सुरक्षित देश है। यहां शिव की भक्ति से शांति मिलती है। ‘लिया’ ने अब काशी में ही रहने का मन बना लिया है। हालाकि वो जून में वापस जाएंगी, लेकिन नवंबर में फिर काशी आएंगी। शिव की आराधना कर खुद को भगवान को समर्पित करेंग।
पांडेय घाट पर शिव की साधना में लीन होकर लिया पारंपरिक भारतीय वेशभूषा धारण कियए हाथ में रुद्राक्ष लिए ‘ॐ नमः शिवाय’ के मंत्रों का जाप करती रहती हैं। इतना ही नहीं, वह अपनी पेंटिंग के सहारे अपनी शिव भक्ति करती हैं। उन्होंने अपना जीवन शिव को समर्पित कर दिया है। अब वह शिव भक्ति में ही लीन रहती है। लिया का कहना है कि वह फ्रांस में कट्टरपंथी विचारधारा से परेशान हो चुकी थी। फ्रांस में अशांति और भय का माहौल बन गया है। मानसिक तनाव से छुटकारा पाने और शांति की तलाश में वह काशी आई हैं।
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