नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में नये मुख्य चुनाव आयुक्त पर फैसला हो गया. अभी तक चुनाव आयुक्त के रूप में कार्य कर रहे ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया है. उनका कार्यकाल जनवरी 2029 तक है. हरियाणा कैडर के आईएएस आधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त बनाया गया है जिनका कार्यकाल 2031 तक है. कोई भी चुनाव आयुक्त 65 साल या 6 साल तक चुनाव आयोग में काम कर सकता है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस बाबत अधिसूचना भी जारी हो गई है. इस नियुक्ति के लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता पीएम मोदी कर रहे थे जबकि गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी सदस्य के रूप में मौजूद थे.
नये कानून से CJI को हटा दिया
2023 में Chief Election Commissioner and Other Election Commissioners (Appointment, Conditions of Service and Term of Office) Act बना. नये कानून के तहत यह पहली नियुक्ति है. पुराने कानून में चीफ जस्टिस भी सदस्य होते थे लेकिन नये कानून से यह प्रावधान हटा दिया गया है. विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस नियुक्ति का विरोध किया. राहुल गांधी ने कहा कि नये कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और जल्दी ही उस पर सुनावाई होने वाली है लिहाजा अभी इंतजार किया जाए. पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, राहुल गांधी की बात से सहमत नहीं थे. उन्होंने ज्ञानेश कुमार के नाम पर मुहर लगा दी जिसे राष्ट्रपति ने तत्काल मंजूरी भी दे दी और अधिसूचना जारी होने के बाद ज्ञानेश कुमार मुख्य चुनाव आयुक्त बन गये.
नये कानून में सरकार का बहुमत
नए कानून के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल में तीन सदस्य होंगे. पैनल की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे जबकि विपक्ष के नेता और पीएम द्वारा नामित एक मंत्री सदस्य इसके सदस्य होंगे. पीएम मोदी ने इस पैनल बैठक के लिए अमित शाह को नामित किया था. पुराने कानून में भारत के मुख्य न्यायधीश भी इस पैनल के सदस्य होते थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस बाबत नया कानून बनाने की छूट दी थी लिहाजा मोदी सरकार विधेयक लाई और उसे संसद से पारित कराया जिसमें चीफ जस्टिस को नहीं रखा गया. इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है जिस पर 19 फरवरी को सुनवाई होनी है. विपक्ष के नेता राहुल गांधी चाहते थे कि इस पर जल्दी सुनवाई और फैसला हो उसके बाद नये मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति हो लेकिन सरकार नहीं मानी.
काग्रेस बोली संवैधानिक संस्थाओं पर एकाधिकार
मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर कांग्रेस काफी गुस्से में है और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली सलेक्शन कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने नए सीईसी की नियुक्ति पर अपनी असहमति जताई. उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति सेलेक्शन की स्वतंत्रता और तटस्थता को प्रभावित करने वाले शीर्ष अदालत के आदेश की भावना के खिलाफ है. सरकार चाहती तो सुप्रीम कोर्ट से आग्रह कर सकती थी कि नये कानून की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जल्दी सुनवाई कर फैसला दिया जाए. फैसले के बाद नई नियुक्ति होनी चाहिए थी लेकिन यह सरकार संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा करना चाहती है इसलिए मनमाने फैसले कर रही है.
सिंघवी बोले CJI को हटाना गलत
आधी रात को नये सीईसी की नियुक्ति की अधिसूचना संविधान की भावना के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा है कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता के लिए सीईसी को एक निष्पक्ष हितधारक होना चाहिए. कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर या बाहर रखने की कोशिश करके मोदी सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वे संवैधानिक संस्थाओं पर अपना नियंत्रण चाहते हैं और विश्वसनीयता नहीं रहने देना चाहते.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और नेता विपक्ष की समिति मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करती है, लेकिन उसमें बहुत सारी संवैधानिक और कानूनी समस्याएं हैं. इन्हीं समस्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानून को चुनौती दी गई, सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को कहा कि लोकतंत्र और उसकी निष्पक्षता के लिए CEC और EC की चयन समिति में पीएम, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और नेता विपक्ष हों लेकिन सरकार नहीं मानी.
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