नई दिल्ली। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व होता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही समस्त पापों से मुक्ति भी मिलती है। वैसे तो सभी 24 एकादशियों का महत्व होता है, लेकिन निर्जला एकादशी का सबसे ज्यादा महत्व होता है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक केवल एक निर्जला एकादशी का व्रत करने से 24 एकादशियों के फल प्राप्ति होती है। निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल निर्जला एकादशी दो दिन मनाई जाएगी। पहले दिन स्मार्त निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं दूसरे दिन वैष्णव निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। हिंदू पंचाग के मुताबिक एकादशी 6 जून 2025 को रात 2:15 से शुरू होकर 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 को रखा जाएगा। स्मार्त निर्जला एकादशी व्रत 6 जून और वैष्णव निर्जला एकादशी व्रत 7 जून 2025 को रखा जाएगा।
हिंदू धर्म के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सारे पापों का नाश हो जाता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दान-पुण्य करना भी खास माना जाता है। ऐसा करने से धन की कमी नहीं होती। माना जाता है कि व्यासजी के कहने पर भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत किया था। इसी के चलते इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भीम ने इस एकादशी का व्रत मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया था। इस व्रत को रखने से भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। निर्जला एकादशी का व्रत करना कठिन होता है क्योंकि इसमें जल और भोजन को त्याग देना होता है।
इस दिन व्रत करने वाले को भगवान विष्णु की असीम कृपा की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. व्रत का पालन संयम और नियम से करना चाहिए। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद पवित्र वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। फिर पूरे दिन बिना जल और अन्न के रहें। पूरे दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इसके अलावा किसी जरूरतमंद को दान करें और ब्राह्मण भोजन कराएं।
ये भी पढ़े