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मोदी सरकार खत्म करेगी 65 साल पुराना कानून, लाभ का पद मामले में सांसदों की अयोग्ता के लिए बनेंगे नए नियम

केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही 65 साल पुराने कानून को खत्म करने की योजना बना रही है। यह कानून लाभ के पद पर होने के कारण सांसदों को अयोग्य ठहराने का आधार प्रदान करता है। इसे खत्म कर सरकार एक नया कानून लाने की योजना बना रही है, जो वर्तमान के स्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप होगा।

PM Modi
inkhbar News
  • Last Updated: November 18, 2024 09:14:34 IST

नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही 65 साल पुराने कानून को खत्म करने की योजना बना रही है। यह कानून लाभ के पद पर होने के कारण सांसदों को अयोग्य ठहराने का आधार प्रदान करता है। इसे खत्म कर सरकार एक नया कानून लाने की योजना बना रही है, जो वर्तमान के स्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप होगा। केंद्रीय विधी मंत्रालय के विधायी विभाग ने 16वीं लोकसभा में कलराज मिश्र की अध्यक्षता वाली लाभ के पदों पर संयुक्त समिति की तरफ से की गई सिफारिशों के आधार पर तैयार ‘संसद (अयोग्यता निवारण) विधेयक, 2024’ का मसौदा पेश किया है।

इन धाराओं को हटाने का प्रस्ताव

प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य मौजूदा संसद (अयोग्यता निवारण) अधिनियम, 1959 की धारा 3 को युक्तिसंगत बनाना तथा अनुसूची में दिए गए पदों की नकारात्मक सूची को हटाना है, जिसके आधार पर किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य ठहराया जा सकता है। इसमें मौजूदा अधिनियम और कुछ अन्य कानूनों के बीच टकराव को दूर करने का भी प्रस्ताव है, जिनमें अयोग्यता न होने का स्पष्ट प्रावधान है।

मसौदा विधेयक में कुछ मामलों में अयोग्यता के ‘अस्थायी निलंबन’ से संबंधित मौजूदा कानून की धारा-4 को हटाने का भी प्रस्ताव है। इसके स्थान पर केंद्र सरकार को अधिसूचना जारी कर अनुसूची में संशोधन करने का अधिकार देने का भी प्रस्ताव है। मसौदा विधेयक पर जनता की राय मांगते हुए विभाग ने याद दिलाया कि संसद (अयोग्यता निवारण) अधिनियम, 1959 इसलिए बनाया गया था ताकि सरकार के अधीन लाभ के कुछ पद उनके धारकों को संसद सदस्य बनने या निर्वाचित होने से अयोग्य न ठहराएं।

व्यापक समीक्षा के बाद रिपोर्ट

हालाँकि, अधिनियम में उन पदों की सूची है जिनके धारकों को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा और उन पदों का भी उल्लेख है जिनके धारकों को अयोग्य ठहराया जाएगा। संसद ने समय-समय पर अधिनियम में संशोधन किया है। 16वीं लोकसभा के दौरान संयुक्त संसदीय समिति ने अधिनियम की व्यापक समीक्षा करने के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।

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