नई दिल्ली। नौतपा की शुरुआत हो गई है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो धरती पर गर्मी बढ़ जाती है। 9 दिन पृथ्वी पर अत्यधिक गर्म होते हैं। इस अवधि को नौतपा कहा जाता है। इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे तापमान तेजी से वृद्धि होती है। साथ ही गर्मी अपने चरम पर पहुंच जाती है।
इस साल सूर्यदेव 25 मई 2025 को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। 8 जून 2025 तक वहीं स्थित रहेंगे। ऐसे में नौतपा की शुरुआत 25 मई, यानी कल से ही मानी जाएगी। पौराणिक मान्यता के मुताबिक नौतपा का संबंध भगवान सूर्य से है। इस दौरान सूर्य की किरणें अत्यंत तीव्र हो जाती हैं, जिसका प्रभाव धरती पर दिखता है। स्कंद पुराण के मुताबिक में नौतपा में सूर्योपासना करना फलदायी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि नौतपा में सूर्य देव अपनी ऊर्जा से प्रकृति को शुद्ध करते हैं। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं, लेकिन जब सूर्य इस नक्षत्र में गोचर करते हैं, तो चंद्रमा की शीतलता भी सूर्य की प्रचंडता के आगे नहीं टिक पाती। यही कारण है कि नौतपा के दिनों में गर्म हवाएं, लू और जलवायु की तीव्रता तेज होती है।
इस दौरान आंधी-तूफान अधिक होता है, इसलिए शादी, मुंडन जैसे शुभ कार्यों को करने से परहेज करना चाहिए। साथ ही इस समय ऊर्जा असंतुलित हो जाती है। ऐसे में शुभ कार्य करना लाभकारी नहीं होता।
नौतपा में जलवायु तीव्र हो जाती है। ऐसे में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। मांस-मदिरा के सेवन से सूर्य कुंडली में कमजोर पड़ता है। साथ ही इन चीजों को खाने से मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
नौतपा के दौरान प्रतिदिन सुबह में सूरज को जल चढ़ाना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने से मन को शांति मिलती है।
मिट्टी के बर्तन में जल भरकर छत या खुले स्थान पर रखना चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।
किसी जरूरतमंद को अपने घर से खाली हाथ न लौटाएं। नौतपा में पानी, फल या छाछ दान करना भी फलदायी होता है। यह एक श्रेष्ठ सेवा मानी जाती है।
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